पंचायत चुनाव में दोहरी मतदाता सूची पर गरमाई सियासत, कांग्रेस ने उठाए नियम उल्लंघन के सवाल, आयोग के आदेशों में उलझी स्थिति
देहरादून/ उत्तराखंड में एक ओर जहां लगातार बारिश और आपदा की स्थिति शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर पंचायत चुनावों की सरगर्मी भी तेज होती जा रही है। हरिद्वार को छोड़ प्रदेश के अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया 28 जून को जारी संशोधित अधिसूचना के बाद से शुरू हो चुकी है, जिसके तहत नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 5 जुलाई को पूर्ण हुई और अब नामांकन पत्रों की जांच चल रही है।
इस बीच, राज्य की सियासत उस समय गरमा गई जब कांग्रेस ने दोहरी मतदाता सूची को लेकर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस का आरोप है कि कई ऐसे लोग हैं जिनके नाम पहले नगर निकाय की मतदाता सूची में थे, और अब वही नाम पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में भी दर्ज हैं, और उन्होंने पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भी दाखिल किया है।
कांग्रेस ने इस मामले को 23 जून को ही राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष उठाया था और आयोग से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी।
आयोग के दो विरोधाभासी आदेश
विवाद को उस समय और बल मिला जब 27 जून को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया कि “जिन मतदाताओं का नाम पहले नगर निकाय मतदाता सूची में था और अब पंचायत मतदाता सूची में शामिल है, वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते और उनका नामांकन रद्द किया जाए।”
इस आदेश के आधार पर टिहरी गढ़वाल के जिला निर्वाचन अधिकारी ने तत्काल ऐसे उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया।
लेकिन मामला तब और उलझ गया जब 6 जुलाई को आयोग की ओर से नया आदेश जारी किया गया जिसमें 2025 की निर्देशक पुस्तिका के हवाले से कहा गया कि,
“किसी प्रत्याशी का नाम निर्देशन पत्र केवल इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जाएगा कि उसका नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों / प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों / नगर निकाय की निर्वाचन नामावली में सम्मिलित है।”
कांग्रेस का आरोप: नियमों का उल्लंघन
कांग्रेस ने इस नए आदेश को सीधे तौर पर निर्वाचन नियमों और धारा 9 की उपधारा 6 का उल्लंघन बताया है।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सितंबर 2019 के आदेश को दिसंबर 2019 में संशोधित किया गया था और उसी संशोधन के अनुसार नामांकन पत्रों की वैधता तय होनी चाहिए। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप भी लगाया।
भाजपा का पलटवार
वहीं भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक हताशा बताया है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि कांग्रेस कोर्ट के माध्यम से पंचायत चुनाव रुकवाने में विफल रही है, इसलिए अब निराधार मुद्दे उठा रही है। उन्होंने दावा किया कि जनता में पंचायत चुनाव को लेकर भारी उत्साह है और भाजपा प्रचंड बहुमत से विजय प्राप्त करेगी।
राज्य निर्वाचन आयोग के दो परस्पर विरोधी आदेशों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। एक ओर उम्मीदवारों के नामांकन रद्द करने की बात कही गई, वहीं दूसरी ओर उन्हें अनुमति देने का निर्देश भी दिया गया। इस विरोधाभास के कारण जिलों के अधिकारी भी भ्रम की स्थिति में हैं और प्रत्याशियों को स्पष्ट जवाब नहीं मिल पा रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या आयोग इस स्थिति पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर विवाद का पटाक्षेप करता है या फिर यह मुद्दा आगामी पंचायत चुनावों में सियासी तूल पकड़ेगा।
नोट-👉 उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव और DIPR ने अपने फेसबुक सोशल मीडिया पर स्थिति स्पष्ट की है👇
(उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव के अनुसार आयोग के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों पर वर्तमान पंचायत चुनावों में उम्मीदवार की पात्रता के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। विशेष रूप से यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी को लेकर विभिन्न अपात्रताएं लागू होती हैं। यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है की राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए गए हैं।
इस संबंध में जनसाधारण, संभावित उम्मीदवारों और मीडिया सहित सभी हितधारकों को सूचित एवं स्पष्ट किया जाता है कि उत्तराखण्ड में पंचायत चुनाव पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग स्वयं इस अधिनियम के प्रावधानों से निर्देशित है और अन्य सभी को भी इन्हीं प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए गए हैं, जो निर्देश हैं वे पूर्व से पंचायती राज अधिनियम में प्रविधानित हैं।
अधिनियम में किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचन हेतु मतदाता सूची में पंजीकरण, मताधिकार और निर्वाचित होने के अधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट रूप से वर्णित है:
मत देने और निर्वाचित होने का अधिकार: अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित है, वह ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा। इसी प्रकार के स्पष्ट प्रावधान क्षेत्र पंचायत के लिए धारा 54(3) और जिला पंचायत के लिए धारा 91(3) में दिए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, पंचायत चुनावों में किसी उम्मीदवार की निरर्हता (Disqualifications) से संबंधित प्रावधान केवल उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (ग्राम पंचायत के लिए), धारा 53 (क्षेत्र पंचायत के लिए), और धारा 90 (जिला पंचायत के लिए) में विस्तृत रूप से दिए गए हैं।
अतः, सभी से अनुरोध है कि वे ऐसे निराधार प्रचार पर विश्वास न करें और केवल उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के आधिकारिक प्रावधानों तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में अधिनियम का अवलोकन करें अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं आयोग से तुरंत संपर्क करें)