एम्स ऋषिकेश की मेडिकल टीम भी थी सवार, सभी सुरक्षित; डीजीसीए करेगा तकनीकी जांच
श्री केदारनाथ धाम में शनिवार को एक बड़ा हादसा उस वक्त टल गया, जब एम्स ऋषिकेश से मरीज को रेस्क्यू करने पहुंची संजीवनी हेली एंबुलेंस को तकनीकी खराबी के चलते आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। पायलट की त्वरित सूझबूझ और संयम से सभी की जान बच गई। इस हेलीकॉप्टर में एम्स ऋषिकेश की एक मेडिकल टीम भी सवार थी, जिसमें एक डॉक्टर और एक नर्सिंग स्टाफ शामिल थे।

क्या हुआ हादसे के दौरान?
जिला पर्यटन अधिकारी एवं नोडल हेली सेवा प्रभारी राहुल चौबे के अनुसार, श्री केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए पहुंची एक महिला श्रद्धालु को सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ होने लगी। श्रद्धालु की तबीयत बिगड़ती देख राज्य सरकार की हेली एंबुलेंस सेवा संजीवनी की मदद ली गई। हेलीकॉप्टर एम्स ऋषिकेश से मरीज को लेने केदारनाथ धाम की ओर रवाना हुआ।

लैंडिंग से महज 20 मीटर पहले, केदारनाथ के मुख्य हेलीपैड के पास हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आ गई। स्थिति को भांपते हुए पायलट ने हेलीपैड से कुछ पहले एक समतल स्थान पर आपातकालीन लैंडिंग करने का निर्णय लिया। यह निर्णय जानलेवा दुर्घटना को टाल गया। हालांकि हेलीकॉप्टर की टेल रोटर (Tail Boom) क्षतिग्रस्त हो गई, लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।

एम्स ने की पुष्टि
एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि हेलीकॉप्टर में उस समय केवल पायलट सवार था और यह हार्ड लैंडिंग के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुआ। हेलीकॉप्टर का टेलबॉन टूट गया, लेकिन पायलट पूरी तरह सुरक्षित है।
डीजीसीए करेगा जांच
घटना के बाद, हेली सेवा संचालन से जुड़े तकनीकी पहलुओं की जांच नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा की जाएगी। जांच के बाद ही तकनीकी खराबी के कारणों की स्पष्ट जानकारी सामने आएगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अक्टूबर 2024 को एम्स की हेली एंबुलेंस सेवा संजीवनी का शुभारंभ किया था। यह सेवा पर्वतीय क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
फिलहाल राहत की बात यह है कि कोई जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन यह घटना उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर संचालन की चुनौतियों को एक बार फिर उजागर करती है।