शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत, मंदिरों और पंडालों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
देहरादून/हरिद्वार/नैनीताल/अल्मोड़ा। आज सोमवार से शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत हो गई है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ भक्तों ने देवी आराधना का शुभारंभ किया। तड़के सुबह चार बजे से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। अगले दस दिनों तक माता रानी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। इस बार विशेष रूप से नवरात्रि नौ नहीं बल्कि दस दिन तक चलेंगे, क्योंकि तृतीया तिथि दो दिन रहने के कारण उत्सव की अवधि बढ़ गई है।
लक्सर में सजे मंदिर और पंडाल
हरिद्वार जिले के लक्सर में नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। यहां जगदंबा मंदिर और दुर्गा मंदिर में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। भक्त माता के चरणों में माथा टेककर सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद ले रहे हैं।
गर्जिया देवी मंदिर में जनसैलाब
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में नैनीताल जिले के रामनगर स्थित प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर में भी आज श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कोसी नदी के बीच टीले पर स्थित इस मंदिर में तड़के साढ़े तीन बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। पुजारी दिनेश चंद्र पांडे के अनुसार, भोर होते ही पूरा मंदिर परिसर जयकारों और भजन-कीर्तन से गूंज उठा। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और नेपाल से भी भक्त यहां पहुंचते हैं।
किंवदंती के अनुसार, महाभारत काल में राजा विराट ने इस स्थान पर देवी की तपस्या की थी। वहीं स्थानीय मान्यता है कि हजारों साल पहले मिट्टी का एक बड़ा टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था और इसी पर मां गर्जिया विराजमान हुईं। बटुक भैरव देवता ने इस टीले को रोक स्थायी बना दिया। तभी से गर्जिया माता को हिमालय पुत्री और मां पार्वती का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
अल्मोड़ा में दुर्गा पंडालों की रौनक
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में भी नवरात्रि के पहले दिन से भक्ति की धारा बहने लगी है। शहर के विभिन्न स्थानों पर दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं। सुबह से ही मंदिरों में शंख-घंटों की गूंज सुनाई दी और जगह-जगह कलश यात्रा निकालकर कलश स्थापना की गई। चौघानपाटा स्थित दुर्गा पंडाल से महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में कलश यात्रा निकाली और भजन-कीर्तन करते हुए माता की स्थापना की।
पंडित राजेश शास्त्री के अनुसार, नवरात्रि के दिनों में माता की पूजा, जगराते और श्रृंगार करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। देवी का पाठ और जाप करने से अनिष्ट दूर होते हैं और मन, तन तथा वाणी में ओजस्विता आती है।
10 दिन तक चलेगा पर्व
इस बार शारदीय नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 10 दिन तक चलेगा। महानवमी के दिन व्रत पूर्ण किए जाएंगे। धार्मिक आस्था और उल्लास से भरे इस पर्व ने उत्तराखंड के मंदिरों, पंडालों और बाजारों को भक्ति-भाव से सराबोर कर दिया है।