वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी (84 वर्षीय) का निधन हो गया। सुशीला बलूनी पिछले तीन साल से अस्वस्थ चल रही थीं। मंगलवार शाम छह बजे घर पर अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए मैक्स अस्पताल ले गए थे। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है।
एडवोकेट सुशीला बलूनी 1980 के समय से हेमवती नंदन बहुगुणा के पौड़ी गढ़वाल लोक सभा चुनाव से राजनीति में सक्रिय रहीं और बहुगुणा के प्रबल समर्थकों में से थीं। वह उत्तराखंड क्रांति दल में भी लम्बे समय तक रहीं। उनकी उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका रही। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। वह उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद की अध्यक्ष और उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनकी छवि एक जुझारू, संघर्षशील और ईमानदार महिला नेत्री के रूप में रही। उन्हें उत्तराखंड में ताईजी के रूप में भी जाना जाता रहा है।
सुशीला बलूनी के निधन के बाद से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। राज्यपाल गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उनके निधन पर शोक जताया है। राज्य निर्माण आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर भाजपा महानगर ने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रीमती सुशीला बलूनी के डोभालवाला स्थिति आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखण्ड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा।