देहरादून/ उत्तराखंड में बढ़ती वनाग्नि घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के सहयोग से राज्यव्यापी मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इस अभ्यास के तहत उत्तरकाशी जिले में भी तीन स्थानों—साल्ड-जोंकाणी मोटर मार्ग, एनआईएम बैंड, और एनएच-34 गंगोरी—पर वनाग्नि नियंत्रण के लिए इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम (IRS) की तैयारियों को परखा गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित आईटी पार्क में समुदाय केंद्रित मॉक ड्रिल में भाग लिया और वनाग्नि रोकथाम को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी विभागों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु को निर्देश दिया कि वनाग्नि रोकथाम के लिए सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं।

उत्तरकाशी में वनाग्नि नियंत्रण अभ्यास—
उत्तरकाशी जिले में वनाग्नि रोकथाम के लिए बनाए गए परिदृश्यों के आधार पर सुबह आठ बजे से मॉक ड्रिल शुरू हुई। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट के निर्देशानुसार, जिला स्तर पर IRS को सक्रिय कर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए। इस दौरान पुलिस अधीक्षक सरिता डोबाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
वनाग्नि नियंत्रण अभ्यास में पुलिस, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना और विभिन्न विभागों ने भाग लिया। मॉक ड्रिल के दौरान वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई चुनौतियों का विश्लेषण किया गया और भविष्य में बेहतर रणनीति तैयार करने पर जोर दिया गया।

मुख्यमंत्री धामी ने दिए कड़े निर्देश—
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वनाग्नि से न केवल वन संपदा को क्षति होती है, बल्कि पर्यावरण, पशु और मानव जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिया कि वनाग्नि रोकथाम के लिए सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों और वन पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। साथ ही, वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने आधुनिक तकनीक के उपयोग और ‘शीतलाखेत मॉडल’, चाल-खाल, तलैया जैसी पारंपरिक जल संरक्षण पद्धतियों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे और नवाचारों को बढ़ावा दिया जाएगा।

राज्यभर में 16 स्थानों पर मॉक ड्रिल—
वनाग्नि रोकथाम के लिए इस राज्यव्यापी मॉक ड्रिल के तहत 06 जिलों में 16 स्थानों को चिन्हित किया गया। इस दौरान वनाग्नि से उत्पन्न विभिन्न परिस्थितियों का समाधान करने, रिस्पांस टाइम को कम करने और जन सहयोग सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के अभ्यासों से वास्तविक आपात स्थितियों में वनाग्नि पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, एनडीएमए के विशेषज्ञ, गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य को आधुनिक उपकरण प्रदान करने के लिए गृह मंत्रालय का आभार भी व्यक्त किया।
उत्तराखंड का 71 प्रतिशत भूभाग वनों से घिरा हुआ है, जिससे हर साल वनाग्नि की घटनाएं राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं। ऐसे में, यह मॉक ड्रिल वनाग्नि की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।