मौसम में बढ़ती गर्मी के साथ-साथ प्रदेश की सियासी माहौल भी गरमाने लगा है। कल शाम आये एग्जिट पोल के बाद राज्य की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में अनिश्चय की स्थिति बन गयी है। अलग अलग चुनाव परिणाम का अनुमान देते एग्जिट पोल में कहीं बीजेपी तो कहीं कांग्रेस बहुमत के करीब दिखाई देती है। कुछ एग्जिट पोलों में बहुमत से दूर होने की आशंका के चलते पार्टियों ने अपनी भावी योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में प्रदेश में राजनितिक धुरन्दरो का आगमन बढ़ने लगा है।
कांग्रेस की बात करें तो कल शाम आये एग्जिट पोल में एबीपी सी- वोटर और इंडिया टीवी/ग्राउंड जीरो रिसर्च प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का इशारा दे रहे है। पार्टी ने त्रिशंकु विधानसभा या विधायकों में तोड़फोड़ के अंदेशे को देखते हुए रणनीति बदली है।
अब बैकअप प्लान तैयार कर नवनिर्वाचित विधायकों को राजस्थान भेजने पर विचार किया जा रहा है। पार्टी ने आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सभी दिग्गज नेताओं, पदाधिकारियों व प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। इसी क्रम में कांग्रेस के पर्यवेक्षक दीपेंद्र हुड्डा और बीवी पाटिल देहरादून पहुंचे हैं।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत सहित पार्टी के बड़े नेता मौजूद हैं। हाईकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक की इस बैठक में, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मंगलवार या बुधवार को पहुंच सकते हैं। सूत्रों के अनुसार बैठक में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित रखने की रणनीति पर भी बैठक में मंथन होगा। कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है।
गौरतलब है कि मतगणना से ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उत्तराखंड में उपस्थिति से कांग्रेस में हलचल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लोकतंत्र के पहरूवों को सावधान किया है। उन्होंने कहा कि खरीद-फरोख्त में माहिर खिलाड़ी एक बार फिर उत्तराखंड पहुंच चुका है।
देखा जाए तो वर्ष 2016 में दूध की जली कांग्रेस इस बार छाछ भी फूंक-फूंककर पी रही और अगर वह बहुमत के थोड़ा भी करीब आती है तो वह सरकार बनाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहेगी।