फिर काँपी धरती, भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के जोशीमठ से 212 किलोमीटर दूर

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दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद समेत कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं, उत्तराखंड के पौड़ी, टिहरी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में भूकंप का झटका महसूस किया गया।क़रीब 50 सेकेंड तक लगातार झटके महसूस होते रहे, ये झटके करीब आठ बजे महसूस किये गए हैं। इसी के साथ उत्तराखंड में आज दो बार धरती हिली। ऑल इंडिया रेडियो ने नेशनल सेंटर ऑफ़ सीसमोलॉजी के हवाले से बताया है कि भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के जोशीमठ से 212 किलोमीटर दूर,धरती के 10 किलोमीटर अंदर था। नेपाल में इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.4 थी। एक हफ्ते पहले भी दिल्ली में भूकंप आया था।

उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके शाम चार बजकर 25 मिनट पर  महसूस किये गए हैं। भूकंप का केंद्र ऋषिकेश के पास बताया जा रहा है और रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गयी है। इससे पहले नौ नवंबर को तड़के दो बार भूकंप आया था।

उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील सिस्मिक जोन फोर में आता है। हिमालयन बेल्ट में फॉल्ट लाइन होने के कारण लगातार भूकंप के झटके आ  रहे हैं, इसी फॉल्ट में मौजूद उत्तराखंड में लम्बे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न  यहाँ बड़ा गैप भी बना हुआ है। प्रदेश ने भूकंप की वजह से बड़ी तबाही झेली है। यहाँ वर्ष 1991 में उत्तरकाशी में 7.0 तीव्रता और वर्ष 1999 में चमोली में 6.8 रिक्टर स्केल के बाद कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। ऐसे में वैज्ञानिक आशंका जताते हैं कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आ सकता है।

भविष्य की आशंकाओं के मद्देनजर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम डेवलप किया गया है। जिसके तहत प्रदेश में 165 सेंसर लगाए गए हैं। सरकार द्वारा इसी सिस्टम पर एक एप भी बनाया गया है जो भूकंप के आने से पूर्व अलर्ट देता है। हालांकि कुछ सेकंड पहले ही भूकंप की जानकारी मिल पाती है।

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन में भूकंप वैज्ञानिक डॉ गिरीश जोशी बताते हैं कि विभाग द्वारा विकसित किया गया उत्तराखंड “भूकंप ऐप” भूकंप जैसी आपातकालीन स्थिति में बेहद कारगर हो सकता है। हम सब को जागरूक होकर इस ऐप को ज्यादा से ज्यादा अपने मोबाइल में इंस्टॉल करना चाहिए। भूकंप के आने से कुछ सेकंड पहले भी अगर भूकंप की जानकारी मिलती है तो वह खुद को सुरक्षित कर सकते हैं।

बता दें कि इससे पहले नौ नवंबर को तड़के दो बार भूकंप आया था। भूकंप के झटके उत्तराखंड समेत उत्तर भारत में महसूस किए गए थे। रात करीब दो बजे के बाद सुबह 6.27 बजे दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रात में जग रहे लोग दहशत के मारे घरों से बाहर निकल आए थे। समाचार एजेंसी के मुताबिक भूकंप का पहला केंद्र नेपाल में था। रिक्टर स्केल में इसकी तीव्रता 6.3 नापी गई थी। भूकंप का केंद्र जमीन के 10 किलोमीटर अंदर था। वहीं दूसरा केंद्र पिथौरागढ़ रहा, जिसकी तीव्रता 4.3 थी।

भूकंप के दौरान इमारतों से दूर एक खुली जगह सबसे सुरक्षित जगह होती है। अगर आप घर के अंदर हैं, तो एक डेस्क, टेबल, बिस्तर, या दरवाजे के नीचे और भीतरी दीवारों और सीढ़ियों के नीचे कवर लें। कांच के दरवाजों, शीशे की खिड़कियों या बाहर के दरवाजों से दूर रहें। भगदड़ से बचने के लिए इमारत से बाहर जाने में जल्दबाजी न करें। अगर आप बाहर हैं, तो इमारतों और तारों से दूर हट जाएं। एक बार खुले में पहुंचने के बाद झटके बंद होने तक वहीं रहें। यदि आप किसी चलती गाड़ी में हैं, तो जितनी जल्दी हो सके रुकें और वाहन में ही रहें। सभी पालतू जानवरों को छोड़ दें ताकि वे बाहर भाग सकें। मोमबत्तियों, माचिस या अन्य आग के सामान का प्रयोग न करें। हर आग को बुझा दें।

भूकंप आने की स्थिति में आप क्या करें और क्या न करें—

अगर आप घर के अंदर हैं तो जमीन पर लेट जाएं। एक मजबूत टेबल या फर्नीचर के अन्य टुकड़े के नीचे खुद को कवर कर अपना बचाव करें। अगर आपके आस-पास कोई टेबल या डेस्क नहीं है तो अपने चेहरे और सिर को अपनी बाहों से ढक लें और किसी कोने में झुककर बैठ जाएं। भूकंप आने पर आप अपने सिर और चेहरे का बचाव करें। कांच, खिड़कियां, दरवाजे, दीवारें और जो कुछ भी गिर सकता है, उससे दूर रहें।अगर भूकंप के समय आप बिस्तर पर हैं तो बिस्तर पर ही रहें। अपने सिर को तकिये से सुरक्षित कर लें। बिस्तर पर अगर आप किसी गिरने वाली चीज के नीचे लेटे हैं तो वहां से हट जाएं। भूकंप के दौरान दरवाजे से बाहर भागने की कोशिश तभी करें जब वह आपके पास हो। ज्यादातर लोगों को चोटें तब ही लगती हैं जब वह इमारतों के अंदर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे होते हैं।

भूकंप आने पर आपके घर की बिजली जा सकती है या स्प्रिंकलर सिस्टम या फायर अलार्म चालू हो सकते हैं। अगर भूकंप के दौरान आप घर से बाहर हैं तो आप जहां पर हैं, वहां से मूव न करें। मुमकिन हो तो इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीट लाइट्स और यूटिलिटी तारों से दूर किसी खुली जगह पर चले जाएं। भूकंप के दौरान सबसे बड़ा खतरा इमारतों से हैं, अधिकांश मौकों पर दीवारों के गिरने, कांच के उड़ने और वस्तुओं के गिरने से चोट लग जाती है। अगर आप चलती गाड़ी में हैं तो सुरक्षा अनुमति मिलते ही रुकें और अपनी गाड़ी में ही बैठे रहें। इमारतों, पेड़ों, ओवरपास और तारों के पास या नीचे रुकने से अपना बचाव करें। भूकंप के झटके रुकने के बाद सावधानी से आगे बढ़ें. सड़कों, पुलों या रैंप से बचाव करें जो भूकंप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। अगर आप मलबे के नीचे फंस गए हों तो एक रूमाल या कपड़े के साथ अपना मुँह ढक लें। किसी पाइप या दीवार पर टैप करें, जिससे बचाव दल आपको ढूंढ सकें। अगर मौका लगे तो सीटी का इस्तेमाल करें।केवल अंतिम उपाय के रूप में चिल्लाएं, क्योंकि चिल्लाने से आप धूल इन्हेल कर सकते हैं।

भूकंप के बाद पीने के पानी, खाने के सामान और प्राथमिक चिकित्सा उपकरणों का स्टॉक आसानी से मिल सकने वाली जगह पर रखें। अफवाह न फैलाएं और न उन पर भरोसा करें। भूकंप के झटके के बाद हालात की ताजा जानकारी हासिल करने के लिए अपने ट्रांजिस्टर या टेलीविजन को चालू करें।  दूसरों की मदद करें और आत्मविश्वास बढ़ाएं। घायल व्यक्तियों की देखभाल करें और जो भी संभव हो उन्हें सहायता प्रदान करें और अस्पताल को सूचना दें। इसके साथ ही और झटकों के लिए तैयार रहें। क्योंकि बाद में और भी झटके आ सकते हैं।


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