उत्तराखंड निकाय चुनाव: भाजपा का घोषणापत्र जारी, कांग्रेस ने साधा निशाना

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उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। बुधवार, 15 जनवरी को भाजपा ने प्रदेश के 11 नगर निगमों के लिए अलग-अलग घोषणापत्र जारी कर अपनी चुनावी रणनीति का ऐलान किया। देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और कोर टीम की उपस्थिति में यह घोषणापत्र पेश किया गया। भाजपा ने इसे विकास की गारंटी बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे मात्र “जनता को ठगने का प्रयास” करार दिया।

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भाजपा की रणनीति और वादे—

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भाजपा का घोषणापत्र प्रदेश में शहरी विकास और नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने का रोडमैप है। उन्होंने इसे “ट्रिपल इंजन सरकार” का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह घोषणापत्र जनता के जीवन स्तर को सुधारने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार सहित 11 नगर निगमों के लिए जारी किए गए इन अलग-अलग घोषणापत्रों में बुनियादी सुविधाओं, स्वच्छता, रोजगार, और डिजिटल विकास के वादे शामिल हैं।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने बताया कि इन घोषणापत्रों को तैयार करने में जनता के सुझावों और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी गई है। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हमेशा से विकास विरोधी रही है।

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कांग्रेस का पलटवार—

भाजपा के घोषणापत्र को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने आरोप लगाया कि भाजपा के घोषणापत्र में वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा, “घोषणापत्र में थूक जिहाद और लैंड जिहाद जैसे मुद्दे उठाए गए हैं, जिनका आम जनता से कोई सरोकार नहीं है।”

दसौनी ने भाजपा पर नगर निगमों की बदहाल स्थिति का आरोप लगाते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर केंद्र से करोड़ों रुपये तो आए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई विकास नहीं हुआ। शहरों में सड़कें टूटी हुई हैं, सीसीटीवी और स्ट्रीट लाइट जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं।

कांग्रेस ने भाजपा शासनकाल में बढ़ते अपराध, डेंगू नियंत्रण में लापरवाही और ग्रीन प्लांटेशन की कमी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा की “ट्रिपल इंजन सरकार” सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रही है और असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।

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चुनावी समीकरण—

जहां भाजपा अपने घोषणापत्र को विकास की गारंटी बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे “राजनीतिक मजबूरी” करार दे रही है। कांग्रेस का दावा है कि भाजपा की लोकप्रियता घट रही है, इसलिए घोषणापत्र जारी कर जनता को लुभाने की कोशिश की जा रही है।

उत्तराखंड में 23 जनवरी को नगर निकाय चुनाव के लिए मतदान होगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही हैं। दोनों दलों के बीच वादों और पलटवारों का यह खेल चुनावी नतीजों तक जारी रहेगा। अब देखना यह होगा कि जनता किसके विकास के वादों पर भरोसा जताती है।

 

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