उत्तराखंड को मिला नया राज्य मानचित्र, सर्वे ऑफ इंडिया ने जारी किया तीसरा संस्करण, 17 साल बाद आया नया नक्शा

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देहरादून/ उत्तराखंड के लिए नक्शे के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। सर्वे ऑफ इंडिया ने राज्य के स्टेट मैप का तीसरा संस्करण जारी किया है, जो आम जनता, शोधकर्ताओं, योजनाकारों और पर्यटकों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। यह नक्शा 1:500,000 के स्केल पर तैयार किया गया है, जिसमें रोड नेटवर्क से लेकर प्रमुख स्थलों तक की दूरी और रूट की सटीक जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

Source Courtesy – Digital Media

17 साल बाद आया नया नक्शा

उत्तराखंड के नक्शे का पहला संस्करण 2003 में राज्य गठन के बाद प्रकाशित किया गया था। दूसरा संस्करण 2008 में आया, लेकिन इसके बाद लगभग 17 वर्षों तक कोई नया नक्शा जारी नहीं हुआ। इस दौरान राज्य में सड़क नेटवर्क, शहरीकरण और अन्य विकासात्मक बदलाव हुए, जिनकी अद्यतन जानकारी अब इस तीसरे संस्करण में शामिल की गई है।

नक्शे की उपयोगिता और विशेषताएं

  • सटीक जानकारी: नए नक्शे में प्रदेश के प्रमुख स्थलों की दूरी, मार्ग और कोड दर्शाए गए हैं।

  • सामाजिक और भौगोलिक योजना: योजनाकारों और शोधकर्ताओं के लिए यह नक्शा नीति निर्माण में मददगार होगा।

  • पर्यटकों के लिए गाइड: प्रमुख मार्गों और स्थलों की जानकारी होने के कारण यह नक्शा पर्यटकों के लिए भी मार्गदर्शक बन सकता है।

  • जनसामान्य के लिए उपयोगी: आम नागरिक अपने इलाके की अवस्थिति और कनेक्टिविटी को बेहतर समझ सकेंगे।

डिजिटल डाउनलोड की सुविधा

यह नक्शा सर्वे ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट www.surveyofindia.gov.in से डिजिटल रूप में डाउनलोड किया जा सकता है। इसे भारत के महासर्वेक्षक हितेश कुमार एस मकवाना की देखरेख में तैयार किया गया है।

स्केल की खासियत

यह नक्शा 1:500,000 के स्केल पर आधारित है, जिसका मतलब है कि नक्शे का 1 सेंटीमीटर धरातल पर 5 किलोमीटर की दूरी को दर्शाता है। यह स्केल दूरी के आकलन में बेहद कारगर होता है, विशेषकर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड जैसे इलाकों के लिए, जहां भूगोल की सटीक समझ आवश्यक होती है। विकास योजनाओं में नक्शे की भूमिका को अहम मानते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि यह अपडेट राज्य के विकास कार्यों, आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय निगरानी के लिए मील का पत्थर साबित होगा।


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