उत्तराखंड पंचायत चुनाव: दोहरी वोटर आईडी वाले प्रत्याशियों की वैधता पर मंडराया संशय, आयोग और हाईकोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें

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उत्तराखंड पंचायत चुनाव: दोहरी वोटर आईडी वाले प्रत्याशियों की वैधता पर मंडराया संशय, आयोग और हाईकोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें

रिपोर्ट: The Mountain Stories | 16 जुलाई 2025

देहरादून: उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनाव एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। इस बार मुद्दा है दोहरी वोटर आईडी रखने वाले प्रत्याशियों की वैधता, जिस पर न केवल आयोग बल्कि हाईकोर्ट की नजर भी बनी हुई है। इस मामले ने राज्य की चुनावी पारदर्शिता और संवैधानिक प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

500 प्रत्याशियों की सूची आयोग को सौंपी गई

याचिकाकर्ता शक्ति सिंह बर्त्वाल ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसे 500 से अधिक प्रत्याशियों की सूची राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी है, जिनके नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह स्थिति उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 की धारा 9(6) और 9(7) का उल्लंघन है और ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

हाईकोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी, आयोग का पुराना आदेश अमान्य

हाईकोर्ट ने पहले ही आयोग द्वारा 6 जुलाई 2025 को जारी उस आदेश को स्थगित कर दिया है, जिसमें दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को राहत दी गई थी। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आयोग का आदेश अधिनियम का उल्लंघन है। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद आयोग की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी गई है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

चुनावी प्रक्रिया पर मंडराया अनिश्चितता का साया

राज्य के 12 जिलों में प्रस्तावित पंचायत चुनाव अब दोहरी वोटर आईडी वाले प्रत्याशियों की वजह से विवादित हो गए हैं। चुनाव की अधिसूचना को लेकर पहले ही असमंजस रहा और अब यह मामला दोहरी पहचान रखने वाले प्रत्याशियों की वैधता पर आकर टिक गया है।

हाईकोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख अगस्त महीने में तय की गई है, जबकि राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया जारी रखने का फैसला किया है।

आयोग का रुख: अदालत के आदेश का होगा पालन

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि चूंकि मामला अब भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इस पर कोई भी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अदालत जो भी आदेश देगी, आयोग उसी के अनुसार कार्य करेगा।

संवैधानिक चिंता और संभावित अवमानना की चेतावनी

शक्ति सिंह बर्त्वाल ने चेतावनी दी है कि अगर आयोग ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया, तो वे हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेंगे। उनका कहना है कि यह केवल चुनाव प्रणाली की खामी नहीं है, बल्कि संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने का भी मामला है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दो अलग-अलग निकायों की वोटर लिस्ट में नाम होना आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है, ऐसे में नामांकन कैसे स्वीकार किया गया?

क्या कहते हैं पंचायती राज अधिनियम के प्रावधान?

उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) के अनुसार, एक व्यक्ति एक ही पंचायत क्षेत्र का मतदाता हो सकता है। दोहरी मतदाता सूची में नाम होने पर व्यक्ति चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जा सकता है। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसे प्रत्याशियों के चुनाव जीतने की स्थिति में उनके चुनाव को न्यायिक चुनौती दी जा सकती है?

नामांकन स्वीकार, अब संकट में भविष्य

राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी गई जिलेवार सूची में उन सभी प्रत्याशियों का उल्लेख है, जिनका नामांकन रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा स्वीकार किया गया है। ऐसे में यदि अदालत का आदेश प्रत्याशियों के खिलाफ जाता है, तो चुनाव परिणाम और प्रक्रिया दोनों ही न्यायिक विवाद में फंस सकते हैं।

उत्तराखंड के पंचायत चुनाव एक बार फिर कानूनी और संवैधानिक उलझनों में घिरते दिखाई दे रहे हैं। दोहरी मतदाता सूची में नाम रखने वाले प्रत्याशियों की वैधता को लेकर आयोग, प्रत्याशी और जनता सभी की निगाहें हाईकोर्ट के आगामी फैसले पर टिकी हैं। जब तक अदालत कोई स्पष्ट निर्देश नहीं देती, तब तक इस विषय में कोई निर्णायक कार्रवाई होने की संभावना नहीं दिखती।


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