उत्तराखंड एसटीएफ की कुमाऊं परिक्षेत्र की साइबर थाना पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख 40 हजार रुपये की धोखाधड़ी करने वाले मुख्य अभियुक्त को लखनऊ, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया है।
घटना का विवरण—
काशीपुर, उधम सिंह नगर निवासी एक पीड़ित ने जुलाई 2024 में साइबर थाना पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित के अनुसार, 9 जुलाई 2024 को उसे एक व्हाट्सएप कॉल प्राप्त हुई, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई विभाग और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। कॉल के दौरान वीडियो चैट के माध्यम से पुलिस अधिकारी की वर्दी में एक व्यक्ति और ऑफिस जैसा बैकग्राउंड दिखाया गया।
अभियुक्त ने पीड़ित को डराने के लिए उसके आधार नंबर और मोबाइल नंबर पर 17 केस दर्ज होने की बात कही और कहा कि जांच में निर्दोष साबित होने के लिए बैंक खातों की धनराशि “रिफाइन” करनी होगी। डर और मानसिक दबाव में आकर पीड़ित ने 45.40 लाख रुपये बताए गए बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से स्थानांतरित कर दिए।
पुलिस कार्रवाई—
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह के निर्देशानुसार, कुमाऊं साइबर पुलिस ने घटना की गहन जांच शुरू की। मामले में उपयोग किए गए बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, और तकनीकी उपकरणों की जानकारी संबंधित कंपनियों और संस्थानों से प्राप्त की गई। डिजिटल साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद अभियुक्त की पहचान पंकज कुमार (उम्र 29 वर्ष) पुत्र राजेंद्र प्रसाद, निवासी चमनपुरा, देवरिया, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई।
अभियुक्त अत्यंत शातिर था और बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था। अंततः साइबर पुलिस टीम ने तकनीकी संसाधनों और अथक प्रयासों से अभियुक्त को लखनऊ से गिरफ्तार किया।
बरामदगी—
गिरफ्तार अभियुक्त के कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड, और पीएनबी बैंक की एक चेकबुक बरामद की गई। पुलिस जांच में पता चला कि इस बैंक खाते का उपयोग देशभर में कई अन्य धोखाधड़ी के मामलों में भी हुआ है।
वरिष्ठ अधिकारियों का बयान—
एसएसपी नवनीत सिंह ने बताया कि यह घटना साइबर अपराध की गंभीरता और लोगों में जागरूकता की आवश्यकता को दर्शाती है। उन्होंने नागरिकों को इस तरह के धोखाधड़ी भरे कॉल्स से सतर्क रहने की सलाह दी। पुलिस अब अन्य संदिग्धों की तलाश और गिरोह के नेटवर्क को उजागर करने में जुटी है।