देहरादून/ उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के दो सदस्यों को देहरादून से गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक सिर्फ 10वीं पास होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों का ट्रेनर बताया जा रहा है। पकड़े गए आरोपी विदेशी साइबर ठगों के लिए एजेंट के रूप में काम करते थे और उत्तराखंड के युवाओं को ट्रेनिंग के लिए मलेशिया तक भेज चुके थे।
थाईलैंड से डिपोर्ट किए गए युवकों से हुआ खुलासा
एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि थाईलैंड से डिपोर्ट किए गए 22 युवकों की पूछताछ के बाद इस अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का खुलासा हुआ। इन युवकों में 15 कुमाऊं और 7 गढ़वाल के निवासी थे। पूछताछ में सामने आया कि ऊधमसिंह नगर के दो आरोपी— हरजिंदर सिंह और संदीप जरूरतमंदों को लालच देकर उनके बैंक खाते खुलवाते थे। फिर इन खातों की चेकबुक, एटीएम कार्ड और अन्य दस्तावेज थाईलैंड में बैठे ठगों को भेजते थे, जहां इन खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए किया जाता था।
मलेशिया में चलता था साइबर ठगी का ‘कोर्स’
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि मलेशिया में बाकायदा साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती थी। गिरफ्तार आरोपी कई बार उत्तराखंड के युवाओं को मलेशिया ले जाकर उन्हें साइबर अपराध की ट्रेनिंग दिलवा चुके हैं। इसके बाद ये युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे।
बैंक खातों में 1.20 करोड़ का लेन-देन, कई दस्तावेज बरामद
गिरफ्तार आरोपियों के बैंक खातों की जांच में पता चला कि उन्होंने एक साल में 1.20 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा कमाया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 1 लैपटॉप, 7 मोबाइल फोन, 1 पासपोर्ट, 2 चेकबुक, 3 डेबिट कार्ड, 2 पैन कार्ड, 1 पासबुक, 1 स्टांप मोहर और ‘शनु इंटरप्राइजेज’ के नाम से मोहर लगे 4 एसबीआई बैंक के फॉर्म बरामद किए हैं।
एसटीएफ कर रही विस्तृत जांच
एसटीएफ अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस साइबर ठगी नेटवर्क से और कितने लोग जुड़े हुए हैं। एसटीएफ का मानना है कि उत्तराखंड में साइबर ठगी से जुड़े कई और गैंग सक्रिय हो सकते हैं, जिन पर कार्रवाई की जाएगी।