मंत्री और अफसरशाही विवाद क्या रंग लाएगा ?

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हाल के दिनों में आये कुछ विवाद जिनमे मंत्रियों, विधायको और अफसरों के बीच एक दूसरे पर दोषारोपण की घटनाएं राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह तो लगा ही रही है साथ ही यह विपक्ष को भी हमलावर होने का मौका दे रही है।  ऐसे में ये विवाद एक तो सरकार की स्थिति असहज कर कर रहे हैं तो वहीँ विपक्ष को भी सरकार की कार्य प्रणाली पर कटाक्ष करने का मौका दे रहे हैं।

ऐसे ही एक और दिलचस्प मामले में  महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य द्वारा अपने विभागीय निदेशक के गायब होने या अपहरण की आशंका वाला पत्र सरकार की फजीहत कराने में कोई कसर नही छोड़ रहा  है। इस पत्र से विपक्ष को भी सरकार को घेरने का मौका मिल गया और जिसकी गूंज विधानसभा सत्र के अंदर भी सुनाई दी। वहीं मामला बढ़ता देख मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग मंत्री और अपर सचिव/निदेशक के बीच के विवाद के जांच के निर्देश दे दिए हैं और मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव मनीषा पवार को मामले की जांच सौंपी है।

हालांकि पुलिस ने राज्य मंत्री के पत्र पर कार्रवाई करते हुए मामले की जांच कर अपनी जांच रिपोर्ट डीआईजी अरूण मोहन जोशी को सौंप दी है, रिपोर्ट में वी. षणमुगम के होम आइसोलेशन में होने का उल्लेख किया गया है। मंत्री रेखा आर्य ने उनके न सिर्फ गायब होने की शिकायत की थी बल्कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में मानव संसाधन आपूर्ति हेतु निविदा प्रक्रिया में घोर अनियमितता एवं धांधली होने के आरोप भी लगाए थे और कहा था कि वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

फिलहाल इन आरोपों की जांच अब आईएएस मनीषा पवार को सौंपी गई है, मुख्य सचिव ने इस पूरे विवाद की संपूर्णता से जांच के लिए कहा है। हालांकि इस पूरे विवाद में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज मंत्री रेखा आर्य के समर्थन में खडे नजर आ रहे हैं। उत्तराखण्ड में अफसरों औऱ मंत्रियों के बीच विवाद का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब खुद सत्ता पक्ष के मंत्री या विधायक अधिकारियों की शिकायत करने दिल्ली तक दौड़ लगा चुके हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे की नाराज़गी भी खुलकर सामने आयी थी अरविन्द पांडे ने यह कहकर सरकार को असहज किया था की वे जिलाधिकारी की शिकायत दिल्ली जाकर करेंगे।
इससे पूर्व भाजपा के कद्दावर नेता मदन कौशिक तक अफसर -मंत्री विवाद में उलझ गए थे। कुम्भ की महत्वपूर्ण बैठक में सचिव के नही पहुँचने पर कौशिक नाराज़ हो गए थे। यह विवाद इतना बड़ा की cm के निर्देश पर सीएएस को आदेश जारी करना पड़ा था की अधिकारीयों की बैठक से बिना बताये गायब नहीं होंगे।

मंत्रियों और अफसर के बीच की दुरी का ही सबब है की विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दे मिल रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने यह मुद्द्दा बार बार उठाया है।

वहीँ रेखा आर्य कहती हैं की अगर उन पर कोई आरोप साबित होता है तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगी .
वहीं इस विवाद  बाद जिला पंचायत  संघठन भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने  गया है वे इस मुद्दे पर त्रिवेंद्र रावत से हस्तछेप की मांग करते हुए कहते हैं की  इन दोनों के विवाद के बाद केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ,मंत्री मातृ वंदन योजना ,राष्ट्रिय पोषण जैसी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं मंत्री को इस्तीफा और आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
अब राज्य मंत्री रेखा आर्य द्वारा नौकरशाही के खिलाफ खोले गए मोर्चे के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी अपनी नौकरशाही के प्रति अपनी नाराजगी नही छिपा पाए और वे रेखा आर्य का समर्थन करते दिखायी दिए साथ ही वह विभागीय सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को सौंपने की पैरवी करते नज़र आते हैं।
बहरहाल मंत्रियों और अफसरों के बीच यह जंग कितनी खिंचती है और राज्य सरकार इस मुद्दे से किस तरह निपटती है यह देखने वाली बात होगी।

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