अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्जे के बाद अफरा-तफरी मची हुई है, और डर का माहौल व्याप्त है। अन्य देशों के नागरिक जहां अपने देश लौट रहे हैं, तो वहीं अफगानिस्तान के लोग भी वहां से बाहर निकलना चाहते हैं। भारत सरकार भी अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालने की कोशिश में है। अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल में तैनात भारतीय दूतावास के कर्मचारी अब नई दिल्‍ली लौट गए हैं। बताया जा रहा है कि भारतीय दूतावास के कर्मचारियों को तालिबान ने अपने सुरक्षा घेरे में एयरपोर्ट तक पहुंचाया। इस आशय का प्रस्‍ताव खुद तालिबान का वरिष्‍ठ नेता शेर मोहम्‍मद अब्‍बास लेकर आया था जो भारत में इंडियन मिल‍िट्री अकादमी में पढ़ा है।

तालिबान के इस टॉप कमांडर शेर मोहम्‍मद अब्‍बास का उत्तराखण्ड कनेक्शन भी सामने आया है। तालिबान के प्रमुख नेताओं में तीसरे नंबर पर माने जाने वाले शेर मोहम्मद अब्बास देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है। दरअसल आईएमए में विदेशी कैडेटों को प्रशिक्षण मिलता रहा है और भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के बाद अफगानी कैडेटों को यह सुविधा मिलती मिलती रही थी शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई अफगान सुरक्षा बलों से सीधी भर्ती के जरिए आईएमए पहुंचा था।

आईएमए में डेढ़ साल तक ट्रेनिंग लेने के बाद वह अफगान नेशनल आर्मी में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1996 तक शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई ने सेना छोड़ दी थी और तालिबान में शामिल हो गया था।

देहरादून स्थित इंडियन मिलेट्री एकेडमी में अफगानिस्तान के 80 कैडेट प्रशिक्षण ले रहे हैं। जो कि पासआउट होन के बाद अफगानिस्तानी सेना में अधिकारी बनने वाले थे। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद इन्हें जहां अपने परिवार की चिंता सता रही है वहीं अब इनका भविष्य भी अधर में लटक गया है।

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