
वहीँ अधिकारियों की सुस्ती के काऱण आज प्रदेश के हाथ से 72 सड़कें छिनने का खतरा मंडराने लगा है, और वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में देरी हो रही है। खुद विभागीय सचिव कार्यों में हो रही देरी का कारण जनपद स्तर के अधिकारियों में समन्वय न होना स्वीकार चुके हैं। साथ ही वर्षों से इन मामलों के निस्तारण न होने पर नाराज़गी जता चुके हैं।

सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण द्वार प्रदेश में किए जा रहे सड़क निर्माण के कार्यो की समीक्षा की। वे कहते हैं कि— “एनएचएआइ के कार्य वर्षो पूर्व स्वीकृत किए जा चुके हैं। केंद्र सरकार भी समय-समय पर इसकी समीक्षा कर रही है। इनका अभी तक निर्माण न होना चिंताजनक है”इस दौरान उन्होंने हरिद्वार से काशीपुर, रुद्रपुर व सितारजंग होकर बरेली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के निर्माण कार्यो में आ रही दिक्कतों के संबंध में जानकारी ली।
बताया गया कि जमीन हस्तांतरण और बिजली के पोल शिफ्ट करने के कार्य लंबित चल रहे हैं। दिल्ली से नैनीताल, रानीखेत, कौसानी से होते हुए अल्मोड़ा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-109 के संबंध में की गई समीक्षा के दौरान बताया गया कि वन भूमि हस्तांतरण, वृक्षों की कटाई और भूमि अधिग्रहण के प्रकरण लंबित हैं। सचिव लोक निर्माण विभाग ने कहा समन्वय की कमी के कारण परियोजनाओं का कार्य बाधित हो रहा है। ऐसे में जल्द लंबित प्रकरणों का निस्तारण कर निर्माण कार्यो में तेजी लाई जाए।
ग़ौरतलब है कि पहाड़ वासियों की राह आसान बनाने की तैयारी में जुटी सरकार के मातहत ही सरकार के कार्यों पर बट्टा लगाते दिखाई दे रहें हैं । बता दें की चीन और नेपाल के साथ भारत के रिश्तों में तल्खी के बीच उत्तराखंड से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा की संवेदनशीलता बढ़ गई है। उत्तराखंड चीन और नेपाल के साथ सैकडों किमी की सीमा साझा करता है। चिंता की बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते उत्तराखंड के गांवों में पलायन भी तेजी से बढ़ रहा है। अगर पहाडों मे सड़कों का जाल न बिछाया गया तो आने वाले समय में हमें सड़क से जुडी न जाने कितनी समस्याओं से गुज़ारना पड़ेगा। आज जरुरत इस बात कि है कि सीमांत क्षेत्रों में सड़क सेवाओं को बेहतर बनाया जाए और रोड नेटवर्क को मजबूत किया जाए।
