चारधाम यात्रा मार्ग प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए बनाई उच्च स्तरीय कमेटी इस बात को लेकर एक मत नहीं है कि इस यात्रा मार्ग की चौड़ाई कितनी हो। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति के दो विशेषज्ञ सदस्यों ने इस सड़क को चौड़ा करने पर गंभीर सवाल उठायें हैं। प्रोजेक्ट में 900 किलोमीटर लम्बी इस सड़क को 10 मीटर चौड़ा किया जा रहा है। विशेषज्ञों ने इसे “हिमालयन ब्लंडर” कहा है।
इस पैनल की अध्यक्षता जाने माने पर्यावरणविद रवि चोपड़ा कर रहे हैं। पैनल ने पर्यावरण,जंगल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। गौरतलब है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2016 में इस 900 किलोमीटर लम्बे यात्रा मार्ग का शिलान्यास किया था, जो की करीब 12,000 करोड़ की लागत से बनना तय हुआ है।
कमेटी की इस रिपोर्ट के अधिकतर हिस्से में सभी सदस्यों की राय लगभग एक जैसी है और इस बात पर सभी एकमत हैं की सड़क के चौड़ीकरण के लिये अब तक हुए काम में पर्यावरण की परवाह नहीं की गयी है लेकिन सड़क मार्ग की चौड़ाई कितनी हो इस पर कमेटी बंट गयी है। पर्यावरण के लिहाज से अति सवेदनशील हिमालय क्षेत्र में होने के कारण यह मुद्दा हमेशा विवादों में रहता आया है।
अध्यक्ष रवि चोपड़ा सहित कमिटी के तीन अन्य विशेषज्ञों ने सड़क को इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा निर्धारित “इंटरमीडिएट” मानक के तहत बनाने की बात कही है। इस मानक के अनुसार सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर हो सकती है, जिसमे पैदल यात्रियों के चलने की व्यवस्था भी होनी चाहिए वहीँ दूसरी ओर कमेटी के बाकी सदस्य डबल लेन मानक के तहत बनाने के पक्ष में हैं जिससे की सड़क की चौड़ाई 12 मीटर करीब हो जाती है। इसी अतिरिक्त चौड़ाई को लेकर विवाद बना हुआ है।
पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील हिमालय में कितने पहाड़ और पेड़ों को काटा जाए ये हमेशा से बहस का मुद्दा रहा है।बहरहाल 21 सदस्यीय समूह में पांच लोग जिनमे रवि चोपड़ा भी शामिल हैं ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है ये लोग सड़क की चौड़ाई 10 मीटर बढ़ाये जाने के खिलाफ हैं वहीँ ज्यादातर सदस्य सड़क की चौड़ाई बढ़ाये जाने के पक्ष में हैं। बहुसंख्यक समूह ने भी अपनी अंतिम रिपोर्ट मंत्रालय को दे दी है।