“मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट अवार्ड” सम्भावनायें तलाशता बॉलीवुड ?

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"हैल्लो, हिन्दुस्तान का देहरादून ?

हैल्लो, मैं रंगून से बोल रहा हूँ।

मै अपनी बीवी रेणुका देवी से बात करना चाहता हूँ।"

हम छोड़ के हिन्दुस्तान बहुत पछताए, हुई भूल जो तुमको साथ न लेकर आये। 

हम बर्मा की गलियों में घूमे और तुम देहरादून, तुम्हारी याद सताती है जिया में आग लगाती है। 

सी० रामचंद्रन की फिल्म और शम्शाद बेगम की आवाज में गाये गए फिलम “पतंगा” के इस खूबसूरत गीत के बोल बरबस ही होठों पर एक मीठी  मुस्कान ले आते हैं। समय समय पर उत्तराखंड, बॉलीवुड को कई ब्लॉकबस्टर फिल्में देता रहा है ,चाहे  वो ऋतिक रोशन की कारगिल मुद्दे पर  बनी  “लक्ष्य” हो ,करण  जौहर जैसे मंझे हुए निर्माता निर्देशक की “स्टूडेंट ऑफ़ दी ईयर ” या फिर इरफ़ान खान की अदाकारी में बनी “पान सिंह तोमर” इन फिल्मों का ज्यादातर हिस्सा मसूरी देहरादून के आई. एम. ए. और एफ.आर. आई. का दिखाई गया है। बंटी और बबली, अर्जुन पंडित जैसी सुपर हिट फिल्मों की शूटिंग ऋषिकेश और हरिद्वार में हुई थी। और 1975 में आयी मनोज कुमार की फिल्म सन्यासी की तो पूरा कास्टिंग शूट ही घंटाघर से राजपुर रोड़ तक घुड़सवारी करते हुए दिखाया गया है।

                                

यहाँ की मनमोहक वादियां फिल्मकारों को हमेशा ही अपनी ओर खींचती रही मगर ये राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा की कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण उत्तराखंड अपनी नैसर्गिक सुंदरता का उपयोग नहीं कर पाया। 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा में उत्तराखंड को “मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट अवार्ड” मिलने के साथ, यह राज्य के लिए एक खुशखबरी, एक उम्मीद और एक मौका भी लेकर आया है। उत्तराखंड की आकर्षक वादियों में कई बड़े फ़िल्मी बैनर की फिल्मों का निर्माण होने लगा है  इस बात का पता हाल ही में आयी बत्ती गुल मीटर चालू  और केदारनाथ से चल जाता है।

उत्तराखंड के रमणीक स्थल हमेशा फिल्मों के अनुकूल रहे हैं, और फिल्म निर्माता शूटिंग के लिए जिन डेस्टिनेशन की खोज में रहते हैं वह यहाँ प्रचुर मात्रा में फैला हुआ है। मसूरी नैनीताल के साथ- साथ यहाँ कई ऐसे अपरिचित स्थान हैं जहाँ फिल्म निर्माण की अपार संभावनाएं हैं।हाल में दिए गए मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट अवार्ड की प्रासंगिकता तब साकार होती नजर आएगी जब राज्य सरकार इस फिल्म उद्योग पर विशेष दृष्टि बनाये रखे और फिल्म नीति को लेकर समय समय पर अवलोकन कर लचीला रुख अपनाये जिससे की देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित किया जा सके।जरुरत अब इस बात की है की राज्य सरकार फिल्म निर्माण के लिए प्रदेश में एक उचित माहौल तैयार करें और एक बेहतरीन फिल्म नीति को धरातल पर लाये, जिससे की स्थानीय रोजगार के साथ-साथ यहाँ की प्रादेशिक फिल्में नए आयाम छू सके।


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