एक अनोखा मंदिर जो सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है, जानिए कहाँ है ये मंदिर और क्या है इससे जुडी मान्यता

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आज पूरे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए घरों में तैयारियां हैं तो बाजारों में भी खरीदारी हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी मंदिर मौजूद है जो सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है जिसका दर्शन करने के लिए हजारों लोग दूर-दूर से रक्षाबंधन के दिन यहां पहुंचते हैं। चलिए आपको बताते हैं देश के किस हिस्से में मौजूद है ये मंदिर…

दरअसल, हम बात कर रहे हैं वंशीनारायण मंदिर की जो उत्तराखंड के चमोली जिले में मौजूद है। ये एक ऐसा मंदिर है जिसका रक्षाबंधन से कनेक्शन है और ये मंदिर सिर्फ राखी वाले दिन खुलता है। मंदिर के कपाट 364 दिन बंद रहते हैं। उर्गम घाटी में स्थित ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को वंशी नारायण मंदिर के नाम से पुकारा जाता है। वैसे तो मंदिर में यहाँ भगवान शिव, गणेश और वन देवी की मूर्तियां भी स्थापित की हुई है। रक्षाबंधन के दिन स्थानीय लोग सुबह सवेरे पहुंचकर मंदिर को खोलकर यहां साफ सफाई करते हैं और उसके बाद पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर में पूजा करने के बाद मंदिर परिसर में लोग राखी का त्यौहार मनाते हैं। आदिकाल की मान्यताओं से जुड़ी परंपराओं का यहां आज भी निर्वहन होता है।

वंशीनारायण मंदिर उर्गम गांव से 12 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए कुछ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। धारणाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को चूर करने के लिए वामन अवतार लिया, इस बीच राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपना द्वारपाल बनाने का वचन मांगा। माता लक्ष्मी उन्हें वापस लाना चाहती थीं और इसलिए उन्हें नारद मुनि ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधने का उपाय दिया। माता के दुर्गम घाटी में यहां रुकने के बाद से ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने लगा। एक पौराणिक कथा के अनुसार यह भी कहा जाता है कि पाताल लोक में भगवान विष्णु इसी क्षेत्र में प्रकट हुए थे। इसलिए इस गांव में महिलाएं भगवान विष्णु को अपना भाई मानती हैं और रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर में पहुंचकर भगवान विष्णु को राखी बांधती हैं।


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