ऋषिकेश-भानियावाला फोर लेन सड़क निर्माण: 3400 पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

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नैनीताल / उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश के भानियावाला से बनाए जा रहे फोर लेन सड़क निर्माण के तहत 3400 पेड़ों की कटाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। शुक्रवार, 28 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एलिफेंट कॉरिडोर और वन्यजीव संरक्षण को लेकर प्रभावी योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

NHAI ने बताया: उठाए जा चुके हैं आवश्यक कदम
सुनवाई के दौरान NHAI की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट और एलिफेंट कॉरिडोर को संरक्षित करने के लिए पहले ही प्रभावी कदम उठाए जा चुके हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस दावे को परखने के लिए संबंधित विभागों को एक बैठक कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

वन्यजीव और वृक्ष संरक्षण पर हाईकोर्ट सख्त
कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट और NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर को निर्देश दिया कि वे मिलकर यह तय करें कि सड़क निर्माण के दौरान एलिफेंट कॉरिडोर को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचे। साथ ही, कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है?

अगली सुनवाई 4 अप्रैल को
कोर्ट ने इस मामले में सभी विभागों को एक निश्चित तिथि पर बैठक कर समाधान तैयार करने को कहा है और अगली सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तिथि तय की है। सुनवाई के दौरान पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ वीसी और प्रोजेक्ट मैनेजर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहे।

जनहित याचिका में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे
इस मामले में देहरादून निवासी रीनू पाल ने जनहित याचिका दायर कर पेड़ों की कटाई पर सवाल उठाए थे। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ऋषिकेश-भानियावाला के बीच सड़क चौड़ीकरण के लिए 3,300 से अधिक पेड़ों को काटने की योजना है, जो एक महत्वपूर्ण एलिफेंट कॉरिडोर से होकर गुजरती है। इससे न केवल हाथियों, बल्कि अन्य जंगली जानवरों की दिनचर्या प्रभावित होगी। इससे पहले भी हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से शिवालिक एलिफेंट रिजर्व को संरक्षित किया गया था।

कोर्ट ने सभी संबंधित विभागों से इस मामले पर स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सड़क निर्माण से वन्यजीवों को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे।


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