उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बार फिर अवैध धार्मिक संरचना को हटाया गया है। दून अस्पताल के मुख्य गेट के बाहर बनी मजार को बुधवार देर रात बुलडोज़र चलाकर ध्वस्त कर दिया गया। जिला प्रशासन, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग और दून अस्पताल प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में यह कदम उठाया गया।

शिकायत से कार्रवाई तक का सिलसिला
बताया गया है कि यह कार्रवाई ऋषिकेश निवासी पंकज गुप्ता की मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल पर की गई शिकायत के बाद शुरू हुई। शिकायत में मजार को सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर बनाए जाने की बात कही गई थी। जांच के बाद पाया गया कि मजार राजकीय दून अस्पताल परिसर की भूमि पर बिना किसी अधिकृत अनुमति के बनाई गई थी।
कोई वैध दस्तावेज नहीं मिलने पर कार्रवाई
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि “मजार से जुड़े खादिम को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं किया गया। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई करते हुए इसे हटाया गया।” उन्होंने बताया कि ध्वस्तीकरण के दौरान मजार के मलबे से कोई धार्मिक अवशेष नहीं मिले हैं।

अब तक हट चुकी हैं 500 से अधिक अवैध मजारें
उत्तराखंड की धामी सरकार राज्यभर में अवैध धार्मिक ढांचों के खिलाफ सख्त अभियान चला रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक प्रदेश में 500 से अधिक अवैध मजारें, 135 से अधिक अवैध मदरसे, और 50 से अधिक अवैध मंदिर हटाए जा चुके हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद तेज़ हुई प्रक्रिया
यह कार्रवाई राज्य सरकार की नीति का हिस्सा है, जिसे हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद और गति मिली है। रुद्रपुर में नेशनल हाईवे चौड़ीकरण के दौरान मजार हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में मजारों का सर्वे कराने और जिला स्तर पर समिति गठित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी धार्मिक ढांचों की कानूनी स्थिति की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
धामी सरकार की इस मुहिम का उद्देश्य सार्वजनिक और राजकीय भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाना और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए, केवल अवैध और बिना अनुमति निर्मित संरचनाओं को ही हटाया जा रहा है।