देहरादून/ उत्तराखंड पंचम विधानसभा के वर्ष 2025 के चतुर्थ दिवस की कार्यवाही के दौरान पहाड़ी-मैदानी विवाद पर जमकर हंगामा हुआ। सदन में कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल पर पहाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया, जिसके जवाब में डॉ. अग्रवाल ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए क्षेत्रवाद की राजनीति न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और उन्हें राज्य आंदोलनकारी होने के बावजूद उत्तराखंडी होने का प्रमाण देना पड़ रहा है।
उत्तराखंड आंदोलन में अग्रवाल की भूमिका—
डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में अपने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के योगदान को याद किया और कहा कि वह एक सक्रिय आंदोलनकारी रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर 1994 को जब स्व. इंद्रमणि बड़ोनी ने ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया था, तब वह भी दिल्ली में मौजूद थे। मुजफ्फरनगर कांड की खबर मिलते ही वह तुरंत ट्रक में बैठकर वहां पहुंचे। मसूरी गोलीकांड के दौरान भी वह डोईवाला से बाइक पर बैठकर सबसे पहले मसूरी पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे आंदोलनकारी होने के बावजूद उन्हें अपनी उत्तराखंडियत साबित करनी पड़ रही है, जो दुखद है।
— THE MOUNTAIN STORIES (@OmjoshiOm) February 21, 2025
विधानसभा में गरमाया माहौल—
भोजनावकाश से पहले नियम 58 पर चर्चा के दौरान अल्मोड़ा के कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने जिला प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जनपदों में अव्यावहारिक नियम लागू किए गए हैं, जो मैदानी क्षेत्रों में तो संभव हैं, लेकिन पहाड़ों में नहीं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि जहां साइकिल खड़ी करने की जगह नहीं है, वहां भवन निर्माण के लिए पार्किंग की अनिवार्यता रखी गई है। इस बहस के बीच मदन बिष्ट ने प्रेमचंद अग्रवाल पर पहाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया, जिससे सदन में हंगामा मच गया।
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प्रेमचंद अग्रवाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ लोग पहाड़-मैदान और क्षेत्रवाद के मुद्दे पर राजनीति कर प्रदेश को गर्त में ले जाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने सदन में कहा, “हम सभी उत्तराखंडवासी हैं, उत्तराखंड हमारा है। हमारे दिलों में झांककर देखिए, हमारे दिलों में उत्तराखंड बसता है। हम जिएंगे तो उत्तराखंड के लिए और मरेंगे तो उत्तराखंड के लिए।”
मदन बिष्ट का पलटवार, कोर्ट जाने की चेतावनी—
सदन में गरमागरम बहस के बाद बाहर आकर मदन बिष्ट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कोर्ट से नोटिस भिजवाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रेमचंद अग्रवाल ने पहाड़ियों का अपमान करते हुए बयान दिया कि “पहाड़ी शराब पीते हैं”, जिससे पहाड़ी जनभावना को ठेस पहुंची है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य गठन के बाद से पहाड़ों के साथ लगातार भेदभाव किया जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी की सख्त हिदायत—
विधानसभा में बढ़ते विवाद को देखते हुए अध्यक्ष रितु खंडूरी को मध्यस्थता करनी पड़ी। उन्होंने पूरे सदन को फटकार लगाते हुए कहा कि देश ही नहीं, विदेश से भी लोग पूछ रहे हैं कि उत्तराखंड में आखिर क्या हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन कोई गली-मोहल्ले का अखाड़ा नहीं, बल्कि एक सम्मानित मंच है, जहां लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।
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उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि क्षेत्रवाद, जातिवाद और अन्य भेदभावपूर्ण राजनीति को सदन में स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह उत्तराखंड है और इसकी सीमा में रहने वाला हर व्यक्ति उत्तराखंडी है। सबका बराबर सम्मान होना चाहिए।” उन्होंने सभी विधायकों से सभ्य और शिक्षित होने का परिचय देने की अपील की।
सदन में पहाड़ी-मैदानी विवाद को लेकर हुई बहस ने उत्तराखंड की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट इसे पहाड़ियों के साथ भेदभाव करार दे रहे हैं, वहीं कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए क्षेत्रवाद की राजनीति न करने की अपील कर रहे हैं। इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने सभी को नसीहत दी है कि उत्तराखंड की छवि को धूमिल करने वाली राजनीति से बचें और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखें।