प्रयागराज महाकुंभ में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने परिवार संग लगाई आस्था की डुबकी, साझा किए संगम स्नान के भावुक पल

Our News, Your Views

प्रयागराज/ आस्था और श्रद्धा के महापर्व महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने उमड़ रहे हैं। इस धार्मिक आयोजन में सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी परिवार संग त्रिवेणी संगम में स्नान कर मां गंगा, यमुना और सरस्वती को नमन किया। उन्होंने महाकुंभ को धार्मिक महापर्व बताते हुए कहा कि संगम में स्नान अपने आप में एक बड़ा धर्म का कार्य है। इस दौरान उन्होंने हरिद्वार में 2027 में होने वाले कुंभ की तैयारियों पर भी चर्चा की और बताया कि उत्तराखंड सरकार अभी से इसकी तैयारियों में जुट गई है ताकि हरिद्वार कुंभ को ऐतिहासिक और सुविधाजनक बनाया जा सके। उन्होंने श्रद्धालुओं को भरोसा दिलाया कि सरकार महाकुंभ के दौरान हर संभव सुविधा उपलब्ध कराएगी और इस आयोजन को भव्य और दिव्य बनाएगी।

(SOURCE COURTESY – DIGITAL MEDIA)

संगम में स्नान का भावुक अनुभव—

संगम में स्नान के दौरान मुख्यमंत्री धामी का पारिवारिक रूप भी देखने को मिला। वह अपने बच्चे के साथ संगम की लहरों में हंसी-ठिठोली करते नजर आए और परिवार संग तस्वीरें भी क्लिक कराईं। अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर उन्होंने इन क्षणों को साझा करते हुए लिखा, “महाकुंभ शताब्दियों से अपनी अक्षुण्णता बनाए रखते हुए सनातन धर्म की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के माध्यम से कोटि जनों को धर्म व संस्कृति से जोड़ता आ रहा है। यह केवल आध्यात्मिक चेतना ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व बंधुत्व का प्रतीक है जो मानवता को नैतिक मूल्यों एवं विश्व मंगल की ओर प्रेरित करता है।”

एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, “पतितपावनी मां गंगा, यमुना एवं सरस्वती के परमपवित्र दिव्य त्रिवेणी संगम में महाकुंभ-2025 के अलौकिक एवं पुण्यदायी कालखंड में सपरिवार स्नान का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस अविस्मरणीय क्षण में पवित्र जलराशि से अभिसिक्त होकर आध्यात्मिक शुद्धि एवं दिव्यता का अद्वितीय अनुभव प्राप्त हुआ।”

मां को स्नान कराकर पूरा किया कर्तव्य—

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिवेणी संगम में अपनी माता को स्नान कराकर उनका सपना पूरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा, “यह मेरे जीवन के अमूल्य और भावुक क्षणों में से एक है, जिन्हें शब्दों में पिरोना संभव नहीं। त्रिवेणी संगम के पुण्य सलिल में मां को स्नान कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वेदों, शास्त्रों और पुराणों में उल्लेखित है कि कोई भी जीव माता के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता क्योंकि माता ही वह प्रथम स्रोत हैं, जिनसे हमारा अस्तित्व जुड़ा हुआ है। माता का स्नेह अनंत, उनकी ममता अपरिमेय और उनका आशीर्वाद अक्षुण्ण होता है। यह भावपूर्ण क्षण मेरे लिए सनातन संस्कृति, परंपरा और मातृभक्ति का सजीव स्वरूप बनकर हृदय पटल पर सदैव अंकित रहेगा।”

संतों से लिया आशीर्वाद, यूसीसी पर चर्चा—

इससे पहले मुख्यमंत्री धामी ने आचार्य शिविर में आयोजित समानता और समरसता कार्यक्रम में भाग लिया, जहां संतों ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने पर उनका अभिनंदन किया। संतों द्वारा पुष्पमाला और स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “त्रिवेणी की पवित्र भूमि और महाकुंभ के शुभ अवसर पर पूज्य संतों का आशीर्वाद मिलना सौभाग्य की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत की कल्पना में संतों का आशीर्वाद सबसे आवश्यक है। समान नागरिक संहिता लागू करना, विकसित भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। जो सम्मान मुझे संतों ने दिया है, वह पूरे उत्तराखंड के नागरिकों का सम्मान है।”

महाकुंभ के अनुभव साझा किए—

मुख्यमंत्री धामी ने संगम में स्नान के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “आदिकाल से अध्यात्म, ज्ञान व आस्था के पवित्र संगम ‘महाकुंभ’ में डुबकी लगाकर भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया और प्रभु से समस्त प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना की।”

इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड मंडपम का निरीक्षण किया और विभिन्न झांकियों, प्रतिकृतियों और आकृतियों का अवलोकन किया। बाबा नीब करौरी सरकार की प्रतिमा के बगल में बैठकर उन्होंने तस्वीरें भी खिंचवाईं। संतों द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

उत्तराखंड में 27 जनवरी को मनाया जाएगा यूसीसी दिवस—

गौरतलब है कि उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो चुकी है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि हर साल 27 जनवरी को यूसीसी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी लागू कर उत्तराखंड ने पूरे देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

प्रयागराज महाकुंभ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आगमन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने संगम में पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया, अपनी माता को स्नान कराकर मातृभक्ति का परिचय दिया और संतों का आशीर्वाद लेकर समान नागरिक संहिता जैसे ऐतिहासिक निर्णय पर चर्चा की। महाकुंभ में उनके इस आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव ने सनातन परंपरा और संस्कृति को और भी मजबूती प्रदान की है।

 


Our News, Your Views