कांग्रेस में घमासान- क्या प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल नहीं कर पा रहे डैमेज कंट्रोल..? पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर तो नहीं कर दी कोई गलती…

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प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे एक बार फ़िर दल बदल की राजनीति उत्तराखंड में देखने को मिल रही है। जी हाँ इस बार ताज़ा मामला है, उत्तरकाशी के पुरोला से विधायक राजकुमार का जिन्होंने साढ़े चार साल तक कांग्रेस के विधायक के तौर पर जनता की सेवा करने का वादा यहाँ की जनता से किया था, पर चुनाव के ठीक 6 महीने पहले कांग्रेस के विधायक राजकुमार ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। राजकुमार के बीजेपी में घर वापसी के बाद अब एक बार फ़िर कांग्रेस में हड़कंप देखने को मिल रहा है, तो वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की अध्यक्षता को ले कर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल जब प्रदेश अध्यक्ष के पद पर प्रीतम सिंह थे। तब कांग्रेस का कोई भी विधायक या नेता बीजेपी में शामिल नहीं हुआ था। यही नहीं प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में कई बीजेपी कार्यकर्ताओ ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। साथ ही प्रीतम सिंह के अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने कई चुनाव में अपनी जीत दर्ज कराई थी। साथ ही उन्होंने संगठन को भी एक जुटता के साथ मजबूत बना कर रखा था। राजकुमार के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के साथ कई वरिष्ठ नेता डेमेज कण्ट्रोल करने के लिए दिल्ली दरबार पहुँच गए है।

हालांकि राजकुमार के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विधायक राजकुमार ने जनादेश और पुरोला की महान जनता का अपमान किया है। और जनता का विश्वास भी तोड़ा है। जिसका जवाब पुरोला की जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में देंगी।

साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा अध्यक्ष से मांग करती है कि पुरोला के विधायक राजकुमार के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्यवाही की जाये और उनकी सदस्यता रद्द कर अयोग्य घोषित कर नियम अनुसार आने वाले विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए। आपको याद हो तो ये वहीं कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल हैं जिन्होंने अध्यक्ष बनते ही पुरोला से विधायक राजकुमार को टिकट देने की बात कही थी और अब इसी पुरोला विधायक राजकुमार के बीजेपी में जाने के बाद इन्हें डेमेज कण्ट्रोल करने के लिए दिल्ली दरबार जाना पड़ा।


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