काँग्रेस को जिस तरह की चुनौतियों का सामना कर पड़ रहा है वह न तो काँग्रेस और न ही राज्य के लिए मुफीद है। ज्यादा गंभीर बात इसलिए है की ये चुनौती बाहर से नहीं बल्कि मुख्य वजह अंदरूनी स्तर पर मतभेदों का लगातार गहराते जाना है। दरअसल उत्तराखंड कांग्रेस में एआईसीसी की सूची जारी होते ही घमासान शुरू हो गया।
उत्तराखंड से 43 नेताओं को शामिल किया गया है, इसमें 30 निर्वाचित और 13 सदस्य नामित किए गए हैं। सूची में पांच विधायकों के साथ ही कई वरिष्ठ नेताओं के नाम नहीं हैं वहीं कुछ ऐसे नाम शामिल किए गए हैं, जिनका उत्तराखंड की राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। सूची में उत्तरकाशी और चंपावत जिले की अनदेखी की गई है दोनों जिलों के किसी भी नेता को सूची में स्थान नहीं दिया गया है। इससे नाराज पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर तीखा हमला बोला है।
उत्तराखंड कांग्रेस में एआईसीसी (अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी) की सूची जारी होने के बाद नाराजगी बड़ी है। सूची में उत्तराखंड के कई दिग्गज नेताओं के नाम गायब हैं और वह एआईसीसी में जगह पाने मे नाकामयाब रहे हैं। इसके अलावा बाहरी प्रदेश के सदस्यों को तवज्जो दी गई है। सूची में उत्तरकाशी और चंपावत जिला पूरी तरह से नदारद है। दोनों जिलों के किसी भी नेता को सूची में स्थान नहीं दिया गया है। जिसे लेकर कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से गहरी नाराजगी जाहिर की है। प्रीतम सिंह का साफ कहना है कि बिना सलाह लिए ही देवेंद्र यादव अपनी मर्जी से ही पार्टी चलाना चाहते हैं। प्रीतम के अनुसार, प्रभारी ऐसा करके उत्तराखंड में कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।
एआईसीसी सदस्यों की सूची में पांच विधायकों तिलक राज बेहड़, मदन बिष्ट, मयूख महर, खुशाल सिंह अधिकारी और गोपाल राणा का नाम भी शामिल नहीं है। इसके अलावा गोविंद सिंह कुंजवाल, दिनेश अग्रवाल, सुरेंद्र सिंह नेगी, प्रो. जीत राम, विजयपाल सजवाण, राजकुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम भी शामिल नहीं हैं।
गौर हो कि आने वाले समय में कैंट बोर्ड, निकाय और फिर लोकसभा के चुनाव होने हैं। पहले से ही खेमों में बंटी कांग्रेस में इस सूची के जारी होने के बाद अंदरूनी कलह और गहरा सकती है। प्रभारी देवेंद्र यादव पर मनमानी और पार्टी को कमजोर करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। इस बार फिर प्रीतम ने जिस अंदाज में देवेंद्र के खिलाफ मोर्चा खोला है, उससे आने वाले दिनों मे पार्टी के भीतर इस मुद्दे को लेकर घमासान मचने की संभावना बनने लगी हैं जिसका परिणाम प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव और निकाय चुनाव पर दिखाई दे सकता है।