‘खुद का ज्यादा तुर्रम खां मत समझो’, जानिए कौन था तुर्रम खां ?, संसद में तुर्रम खां का नाम है बैन

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आप अक्सर सुनते होंगे की ‘ज्यादा तुर्रम खां मत बनो’ मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर तुर्रम खां है कौन? और क्या आप जानते हैं संसद में तुर्रम खां का नाम लेना बैन है। आइये जानते हैं कि आखिर कौन थे तुर्रम खां जिसके नाम पर इतनी कहावतें और डायलॉग बन चुके हैं और किस वजह से इसकी चर्चा की जाती है।

आपको बता दें कि तुर्रम खां का असली नाम तुर्रेबाज खान था। तुर्रेबाज़ खान दक्कन के इतिहास में एक वीर व्यक्ति थे, जो अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते थे। तुर्रम खां का कनेक्शन हैदराबाद से था और 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई के जबाज़ हीरो थे। कहा जाता है कि जिस आजादी की लड़ाई की शुरुआत मंगल पांडे ने बैरकपुर में की थी उसका नेतृत्व तुर्रम खां ने हैदराबाद में किया था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू की थी और हैदराबाद में अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम को तेज किया था। आजादी की लड़ाई में तुर्रेबाज ने ब्रिटिश रेजीडेंसी पर हमला कर दिया। अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने 6 हजार सैनिकों की फौज तैयार की और उसका नेतृत्व किया। दरअसल, पहले स्वतंत्रता संग्राम के वक्त हैदराबाद के एक जमादार चीदा खान ने दिल्ली कूच करने से मना कर दिया। ऐसे में अंग्रेजों ने उसे धोखे से कैद कर लिया। उसी को छुड़ाने का जिम्मा तुर्रेबाज खान ने उठाया और उन्होंने 500 लोगों की फौज के साथ रात में रेजीडेंसी हाउस पर धावा बोल दिया।

तुर्रम खां ने रात में हमला इसलिए किया था क्योंकि उन्हें लगता था कि रात के हमले से अँगरेज़ परेशान और हैरान हो जाएँगे और उन्हें जीत हासिल हो जाएगी. परन्तु उनकी इस योजना को एक गद्दार ने फेल कर दिया. निजाम के वजीर सालारजंग ने गद्दारी की और अंग्रेजों को पहले ही सूचना दे दी. इस प्रकार अँगरेज़ पहले से ही तुर्रम खां के हमले के लिए तैयार थे। जब तुर्रेबाज खान रेजीडेंसी हाउस पहुंचे तो अंग्रेज पहले से ही तोपें और बंदूक लेकर तैयार खड़े थे। अंग्रेजों के इस एक्शन की तुर्रम खां को भनक तक नहीं थी। उनके पास केवल तलवारें थी। जब उन्होंने हमला किया तो अंग्रेजों उनकी फौज पर तोप और बंदूक लेकर बरसने लगे। भले ही तुर्रेबाज खान के पास हथियार और फौज कम थी, लेकिन फिर भी उन्होंने रातभर अंग्रेजों का सामना किया। ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध में अंग्रेज उन्हें पकड़ नहीं पाए और वो इतनी बड़ी गोरों की फौज को चकमा देकर वहां से निकल गए। अंग्रेजों की पूरी कोशिश के बावजूद वे तुर्रम खां को कैद नहीं कर पाए।

संसद में तुर्रम खां का नाम लेना बैन है। दरअसल, पिछले साल लोकसभा सचिवालय ने संसद की कार्यवाही के दौरान इस्तेमाल नहीं होने वाले शब्दों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें लिस्ट में शकुनि, दलाल के साथ तुर्रम खां शब्द का नाम भी शामिल था।


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