रेटिंग: ⭐⭐⭐½ (3.5/5)
शैली: कोर्टरूम ड्रामा | ऐतिहासिक थ्रिलर | डायरेक्टर: करण सिंह त्यागी
कलाकार: अक्षय कुमार, आर. माधवन, अनन्या पांडे
कहानी की जड़ में: इतिहास की अदालत में न्याय की तलाश
Kesari Chapter 2 एक semi-fictional courtroom drama है जो जलियांवाला बाग नरसंहार जैसे दिल दहला देने वाले ऐतिहासिक अध्याय को अपनी पटकथा का केंद्र बनाती है। फिल्म ‘The Case That Shook The Empire’ नामक किताब पर आधारित है, जिसे सर सी. शंकरन नायर के वंशज रघु पलट और पुष्पा पलट ने लिखा है।
कहानी इस बात पर फोकस करती है कि कैसे नायर (Akshay Kumar) ने General Dyer और Lt. Governor O’Dwyer को British कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन फिल्म जहां सच्चाई को आधार बनाती है, वहीं वह cinematic liberties लेकर दर्शकों की भावनाओं को अधिक छूने का प्रयास करती है।

Reality Check: सच्चाई और फिल्मी कल्पना में फर्क
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असल मामला एक defamation case था, जो King’s Bench Division, London में लड़ा गया।
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फिल्म में दिखाया गया कि केस भारतीय अदालत में लड़ा गया – जो ऐतिहासिक रूप से गलत है।
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फिल्म नायर की हार को दरकिनार कर देती है, जबकि असल में वह मुकदमा हार गए थे।

Courtroom Drama या Melodrama?
डायरेक्टर करण सिंह त्यागी खुद वकील रह चुके हैं, इसलिए कोर्टरूम सीन में टेक्निकल डिटेल्स की झलक मिलती है।
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अक्षय कुमार: नाटकीय, जोशीले वकील के रूप में प्रभावशाली लेकिन कई बार ‘जासूस’ जैसे लगते हैं।
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आर. माधवन: शांत, तार्किक ब्रिटिश बैरिस्टर के रूप में चमकते हैं।
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अनन्या पांडे: उनका किरदार ज़बरदस्ती फिट किया गया लगता है – न वकील, न सहायक, न ही कहानी में ज़रूरी।

Screenplay और Dialogues: जानदार लेकिन selective
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Screenplay में engagement है, courtroom confrontations प्रभावशाली हैं।
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जलियांवाला बाग की घटनाएं विजुअल्स के रूप में झकझोरती हैं।
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लेकिन कई जगह इतिहास को conveniently ignore किया गया है।

What Works (क्या अच्छा है)
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जलियांवाला बाग जैसे संवेदनशील विषय को उठाना
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प्रभावशाली courtroom scenes (खासकर Akshay vs Madhavan)
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दमदार संवाद और भावनात्मक सीन
What Doesn’t (क्या खटकता है)
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ऐतिहासिक तथ्यों से समझौता
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अनन्या पांडे का irrelevant रोल
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हद से ज़्यादा सिनेमाई छूट
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🇮🇳 British कोर्ट को Indian दिखाना
Final Verdict: देखिए, लेकिन सवाल भी कीजिए
Kesari Chapter 2 एक watchable फिल्म है, खासकर अगर आप इतिहास और कोर्ट ड्रामा में रुचि रखते हैं। लेकिन यह एक ‘सत्य पर आधारित सिनेमा’ नहीं बल्कि ‘सत्य से प्रेरित’ फिल्म है।
इसे देखकर भावनाएं ज़रूर जागेंगी, लेकिन तथ्यों को लेकर थोड़ा रिसर्च ज़रूरी हो जाता है।
श्रोत साभार – प्रकाश हिन्दुस्तानी जी (facebook)