भर्तियों में धांधली को लेकर बढ़ता आक्रोश, राजनीतिक दलों की अपनी ढपली अपना राग

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विधानसभा में बैकडोर से  नियुक्तियों का मामला अब मीडिया, सोशल मीडिया से आगे बढ़कर अब सड़कों पर दिखने लगा है। इसे लेकर प्रदेश में प्रदर्शनों का दौर जारी है। पुरे प्रदेश में हर ओर उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामला, UKSSC पेपर लीक मामला, सचिवालय दल रक्षक भर्ती अनियमिमता मामले को लेकर बवाल मचा हुआ है। वहीँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को पत्र लिखकर मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कही है। नियुक्तियों में अनियमितता पाए जाने पर उन्हें निरस्त करने के लिए कहा है।कांग्रेस भले ही खुद भी घिरी हुई हो, लेकिन इसके बावजूद वह मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करने से पीछे नहीं हट रही है। इसे लेकर आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने विधानसभा के सामने जोरदार प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया है। विरोध प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के साथ ही  पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी व उनके समर्थक देहरादून स्थित विधानसभा गेट के समीप धरने पर बैठ गए।

वहीं इन सब मामलों को लेकर बीजेपी छात्र इकाई एबीवीपी ने भी विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी ही सरकार का पुतला फूंका। एबीवीपी छात्र इकाई ने सीएम धामी से मांग की है कि जब तक इन मामलों में सफेदपोशों के चेहरे बेनकाब नहीं होंगे तब तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रदर्शन करती रहेगी और आंदोलन के लिए बाध्य होगी।इस दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामला, UKSSC पेपर लीक मामला, सचिवालय दल रक्षक भर्ती अनियमितता मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। मांग पूरी न होने पर उन्होंने सड़कों पर उतरने व उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
विधानसभा में हुई भर्ती में घपले का आरोप लगाते हुए उजपा नेता कनक धनाई समर्थकों के साथ कैबिनेट मंत्री के आवास को घेरने निकले, लेकिन कोयल घाटी के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। बैरिकेडिंग पार करते समय पुलिस ने धनाई सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने शांतिभंग में मुकदमा दर्ज कर उन्हें कोर्ट में पेश किया।
आश्चर्य की बात है की कांग्रेस और भाजपा दोनों ही के कार्यकालों में विधानसभा में भर्तियां हुई हैं, मगर दोनों ही दल अपने कार्यकाल में हुई भर्तियों को वैध और दूसरे के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। 

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