इंदौर ने फिर कायम की स्वच्छता में बादशाहत, आठवीं बार बना देश का सबसे स्वच्छ शहर, देहरादून को मिला 62वां स्थान

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इंदौर ने फिर कायम की स्वच्छता में बादशाहत, आठवीं बार बना देश का सबसे स्वच्छ शहर
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में किया सम्मानित, देहरादून को मिला 62वां स्थान

नई दिल्ली/इंदौर, 17 जुलाई 2025
स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर ने एक बार फिर अपना परचम लहराया है। गुरुवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25’ के नतीजे घोषित करते हुए इंदौर को लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया। इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल, नगरी प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम आयुक्त शुभम वर्मा भी मौजूद रहे।

केंद्र सरकार द्वारा आयोजित इस वार्षिक सर्वेक्षण में गुजरात का सूरत दूसरे स्थान पर रहा जबकि महाराष्ट्र का नवी मुंबई तीसरे पायदान पर रहा। इंदौर अब देश का ऐसा एकमात्र शहर बन गया है जिसने लगातार आठ वर्षों तक स्वच्छता में पहला स्थान हासिल किया है।

सुपर लीग श्रेणी में भी इंदौर अव्वल

इस वर्ष से शहरी विकास मंत्रालय ने 85% से अधिक अंक पाने वाले शहरों के लिए ‘सुपर लीग’ श्रेणी शुरू की थी। इस श्रेणी में इंदौर का मुकाबला अहमदाबाद, लखनऊ और अन्य प्रमुख शहरों से था, मगर इंदौर ने यहां भी बाजी मारी और सुपर लीग का पहला स्थान हासिल किया।

उत्तराखंड के शहरों का प्रदर्शन

स्वच्छता सर्वेक्षण में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को देशभर में 62वीं रैंक मिली। वहीं, हरबर्टपुर नगर पालिका की रैंकिंग में गिरावट आई है और यह 56वें स्थान से फिसलकर 59वें स्थान पर पहुंच गई। हरबर्टपुर अभी तक खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित नहीं हो पाया है, और न ही इसे कूड़ा मुक्त शहरों की स्टार श्रेणी में स्थान मिला।

राज्य के अन्य शहरों की स्थिति भी चिंताजनक रही:

  • हरिद्वार – 363वीं रैंक

  • हल्द्वानी – 291वीं रैंक

  • कोटद्वार – 232वीं रैंक

  • पिथौरागढ़ – 177वीं रैंक

  • अल्मोड़ा – 907वीं रैंक

हालांकि, उत्तराखंड के लालकुआं नगर को कुछ क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

स्वच्छता सर्वेक्षण का उद्देश्य

स्वच्छता सर्वेक्षण का उद्देश्य देशभर के शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर को सुधारना और नागरिक सहभागिता के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना है। इस सर्वेक्षण में जनसंख्या, कचरा प्रबंधन, नागरिक प्रतिक्रिया, नवाचार और प्रभावी कार्यान्वयन जैसे कई मानकों के आधार पर शहरों की रैंकिंग की जाती है।


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