उत्तराखंड में 17 स्थानों और दो सड़कों के नाम बदले, धामी सरकार का बड़ा फैसला

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देहरादून/ उत्तराखंड सरकार ने राज्य में गुलामी के प्रतीक चिह्नों को हटाने और ब्रिटिशकालीन व उर्दू नामों को बदलने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों के 17 स्थानों और दो सड़कों के नाम बदलने की घोषणा की। सरकार का कहना है कि यह बदलाव जनभावना और भारतीय संस्कृति व विरासत के अनुरूप किया जा रहा है।

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मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विभिन्न स्थानों का नामकरण भारतीय संस्कृति को सशक्त करने और महापुरुषों से प्रेरणा लेने के लिए किया जा रहा है। इससे पहले भी उत्तराखंड में घाट नगर पंचायत का नाम बदलकर नंदानगर और जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ किया गया था।

बदले गए स्थानों के नाम:

हरिद्वार जिले में:

  1. औरंगजेबपुरशिवाजी नगर
  2. गाजीवाली आर्यनगर
  3. चांदपुरज्योतिबा फुले नगर
  4. मोहम्मदपुर जटमोहनपुर जट
  5. खानपुर कुर्सली आंबेडकर नगर
  6. इदरीशपुर नंदपुर
  7. खानपुरकृष्णपुर
  8. अकबरपुर फाजलपुर विजयनगर

देहरादून जिले में:

  1. मियांवालारामजीवाला
  2. पीरवाला केसरीनगर
  3. चांदपुर खुर्द पृथ्वीराज नगर
  4. अब्दुलापुर दक्षनगर

नैनीताल जिले में:

  1. नवाबी रोड अटल मार्ग
  2. पनचक्की से आईटीआई मार्गगुरु गोलवलकर मार्ग

ऊधम सिंह नगर जिले में:

  1. नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टीकौशल्या पुरी

क्या होगी आगे की प्रक्रिया?

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अब संबंधित जिलों से प्रस्ताव मांगे जाएंगे ताकि राजस्व अभिलेखों में नए नाम दर्ज किए जा सकें। इसके बाद राजस्व परिषद समग्र प्रस्ताव तैयार कर सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेगी। अंतिम अनुमोदन के बाद आधिकारिक आदेश जारी किए जाएंगे।

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राजनीतिक विवाद भी शुरू

सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या नाम बदलने से विकास की धारा बदल जाएगी? अगर ग्रामसभा और नगर पंचायतें निर्वाचित हैं तो क्या उनकी राय ली गई है? ऐसा लगता है कि लोग भाजपा से 8 साल का हिसाब मांग रहे हैं और सरकार नाम बदलने में लगी हुई है।”

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सरकार का तर्क

मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि ये बदलाव जनता की भावनाओं और भारतीय संस्कृति की रक्षा के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य की पीढ़ियां अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा ले सकेंगी और भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया जा सकेगा।

उत्तराखंड में स्थानों के नाम बदलने की इस प्रक्रिया को लेकर अब देखना होगा कि आगे क्या बदलाव देखने को मिलते हैं और इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।


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