अब सपनो को लगेंगे पंख, बड़ा अड़ंगा हुआ दूर, जमरानी बाँध परियोजना

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उत्तराखंड की बहुचर्चित और हल्द्वानी की गौला नदी पर बनने वाले जमरानी बाँध के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। जिसका फायदा उत्तराखंड के साथ यूपी को भी मिलेगा। 10 किलोमीटर लम्बे और 130 मीटर चौड़े और 150 मीटर ऊँचे जमरानी बाँध के निर्माण से लगभग 14 मेगावाट विधुत उत्पादन के साथ ही पेयजल और सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। साथ ही जमरानी बाँध बनने से हल्द्वानी के तिलवाड़ी, पनियाबोर, पस्तोला, उड़वा, गनराड, और मुरकुडिया गावं पूरी तरह जलमग्न होंगे।

फोटो- सोशल मीडिया

उत्तराखंड में बनने जा रहे जमरानी बांध को लेकर केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद निर्माण कार्य के लिए रास्ता साफ हो गया है, इस परियोजना के पूरा हो जाने से उत्तराखंड के साथ साथ उत्तर प्रदेश को भी लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत जमरानी बाँध का निर्माण कार्य किया जाएगा। जल्द ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी जमरानी परियोजना के अधिकारी शासन स्तर से बांध निर्माण से जुड़े टेंडर की अनुमति लेकर इसे जारी कर देंगे।

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अगर सब कुछ योजनानुसार रहा तो अगले पांच वर्ष बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लोगों को अपनी जरूरत के अनुसार पीने का पानी मिलेगा तो वहीं नैनीताल, उधम सिंह नगर के साथ ही यूपी के पीलीभीत, बरेली, और रामपुर क्षेत्र के किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध होगा। योजना परवान चढ़कर धरातल पर उतर पायी तो 57 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का पानी मिलने के साथ 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्र को भी मिलेगा। बाँध से साल भर 1.50 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की जरुरत के अनुसार सिंकाई का पानी मिल सकेगा, जिससे हज़ारों किसानो के सामने पानी के लिए बना सिचाई संकट ख़त्म हो जायेगा। सिंचाई एवं पेयजल संकट का समाधान होने के साथ-साथ बिजली की समस्या भी ख़त्म होने की उम्मीद जागी है।

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कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बात हैं कि जमरानी बांध परियोजना की लम्बे समय से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के स्तर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। इस प्रोजेक्ट की अंतिम पुनर्वास नीति कमिश्नर लेवल पर फाइनल होने के पश्चात जमरानी बांध ड्रीम प्रोजेक्ट की स्वीकृति से जनपद नैनीताल एवं उधमसिंह नगर में सिंचाई की समस्या के साथ ही हल्द्वानी शहर में पेयजल व्यवस्था दुरूस्त होगी।

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बता दें कि इस योजना को बनाने का 48 साल पुराना इंतज़ार ख़त्म हुआ है। वर्ष 1975 में बाँध निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद भी चार दशक तक लोगों को बजट के लिए इन्तजार करना पड़ा है और अब जाकर केंद्र से इसकी मंजूरी मिल पायी है। दरअसल जमरानी बाँध मामला उस वक्त का है जब 48 साल पहले इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। तभी इस योजना को इंदिरा गांधी सरकार ने कागजों में उतारा था। उस वक्त यह योजना कागजों में शुरू होकर कागजों में ही सिमट कर रह गयी थी। इस बांध की ऊंचाई नदी की सतह से 130.60 मीटर होगी साथ ही बांध में जल धारण की क्षमता 208.6 मिलियन घन मीटर है। उम्मीद जताई गई है कि यह प्रोजेक्ट को 2028 तक पूरा कर लिया जायेगा।

 


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