सरकार ने जनता के लिए “अपना दिल” थोड़ा और बड़ा किया है, अब आम जनता भी सरकारी सम्पतियों का इस्तमाल अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए कर सकेगी। जिन सम्पत्तियों का पार्टली व छोटी अवधि के लिए इस्मेमाल किया जाता है उन सम्पतियों तक अब आम आदमी की भी पहुँच बन जायेगी और वह उसका इस्तेमाल कर सकेगा।
हम जानते हैं कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियां होने के कारण यहाँ के निवासी सिमित संसाधनों का उपयोग कर पाते हैं। जिसका असर यहाँ के रहन सहन और आर्थिकी पर पड़ता है। जिससे निपटने के लिए सरकार एक युक्ति अपनाने जा रही है जिसमे आम आदमी और सरकार दोनों लाभ उठाएंगी। सरकार ने मंत्रिमंडल की एक बैठक में निर्णय लिया है कि अब आम जनता भी सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल कर सकेगी। सरकारी सम्पतियों का इस्तेमाल किस तरह हो सकेगा इसके लिए नियमावली भी तैयार कर ली गयी है।
पहले ऑडिटोरियम, मीटिंग हॉल, सरकारी पार्किंग, एजुकेशन इंस्टीट्यूट, स्कूल आदि जगहों का इस्तेमाल आम आदमी नहीं कर पाता था। मगर इसके बाद जहां सरकार को उन संस्थानों के रखरखाव में मदद मिलेगी। आम जनमानस जहाँ थोड़े पैसे देकर अपनी जरूरतें पूरी कर पायेगा वहीँ इससे होने वाली आय का 50 प्रतिशत उसके रखरखाव पर और 50 प्रतिशत हिस्सा ट्रेजरी में जमा होगा। वहीं स्कूलों में शादी करने की व्यवस्था को लेकर कमेटी अपने स्तर पर निर्णय लेगी। इसमें अभी तक सबसे अच्छी बात यह नजर आ रही है कि ज्यादा से ज्यादा निर्णय लेने की पावर स्थानीय प्रशासन को दी गयी है। इस कमेटी में कार्यालय या संस्थान का अध्यक्ष भी सदस्य होगा।
कैबिनेट के निर्णय लेने के बाद मुख्य सचिव एसएस संधू मीडिया से रूबरू हुए और बताया कि सरकार ने एक बड़ी पहल की है जिसके तहत कई सरकारी समापतियाँ खाली हैं। वहीँ कुछ सम्पतियों का इस्तेमाल पार्टली या कुछ समय के लिए सरकार द्वारा किया जाता है। एडुकेशन इंस्टिट्यूट, स्कूल केवल आधे समय तक ही खुलते हैं बाकी वक्त वे खाली रहते हैं। तमाम कॉरपोरेट ऑफिस 6 महीने तक के लिए बंद हो जाते हैं जिसके बाद वहां की पार्किंग भी खाली रहती है, लेकिन उस पार्किंग का इस्तेमाल पाता। इंस्टीट्यूट या कार्यालय में मौजूद ऑडिटोरियम या मीटिंग हॉल का इस्तेमाल आम जनमानस नहीं कर पाता। इन्हीं तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए लम्बे मंथन के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है और सम्पतियों के निजी उपयोग की नियमावली तैयार की गयी। डॉ. संधू ने बताया कि इसमें अति सुरक्षित विधानसभा, सचिवालय, राजभवन जैसे सरकारी परिसर शामिल नहीं होंगे।