जैसे जैसे 10 मार्च मतगणना की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रदेश का सियासी पारा चढने लगा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों मुख्य पार्टियां सियासत की बिसात पर अपने मोहरे सजाने लगी हैं। जहां दोनों पार्टियां एक दूसरे को मात देने की तैयारी में लगी है वहीं वह अपने मोहरे सेफ करने की कवायद में भी है। इसकी बानगी उनकी भावी रणनीति में साफ दिखाई देती हैं। चुनाव बाद बनने वाले समीकरणों पर पार्टियों की नज़र बनी हुई है और और उनकी रणनीतियां बनने लगी है।
आइए जानने की कोशिश करते है कैसे विपक्षी पार्टियां एक दूसरे को मात देने की कोशिश में हैं-
भले ही उत्तराखंड विधानसभा 2022 के आने में थोड़ा ही समय बचा है और दोनों विपक्षी पार्टिया के दिग्गज अपनी अपनी जीत का दावा करते हों लेकिन भीतर ही भीतर वह ये भी मान रहे हैं की कांटे का मुकाबला होने की ज्यादा गुंजाइश है। जिसे लेकर सियासी गलियारे में भी अनेकों तरह की चर्चाएं हवाओं में तैर रही हैं।
अटकलें हैं की कांग्रेस अपने जिताऊ प्रत्याशियों को कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान व छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी में है तो वहीँ बकौल भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान मतगणना में पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका तय करने के लिए सात मार्च को एक महत्वपूर्ण बैठक होने की बात करते दिखाई देते हैं।
वे बताते हैं की इस बैठक को पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी संबोधित करेंगे। बैठक में विधानसभा वार मतगणना की तैयारियों के लिए रणनीति बनेगी। बैठक में पार्टी के सक्रिय और तेजतर्रार कार्यकर्ताओं के बारे में चर्चा होगी। इसके लिए बैठक में उपस्थित प्रत्याशियों व पार्टी पदाधिकारियों से भी सुझाव मांगे जाएंगे।
गौरतलब है की 2012 में कांग्रेस 32 और भाजपा 31 सीटों पर सिमट गई थी। सम्भावना जताई जा रही है की 10 मार्च को ईवीएम के पिटारे से नतीजों की कुछ ऐसी ही तस्वीर बनेगी। इसको ध्यान में रखते हुए दोनों ही पार्टियां सरकार बनाने के लिए अपना पूरा जोर लगा देना चाहती हैं ताकि बाजी उनके हाथ से न निकले और वे सरकार बनाने में सफल हों।