उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र सरकार की उपेक्षाओं का शिकार होते आए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की मांग के लिए ग्रामीण कई बार नेताओं व अफसरों के चक्कर काटते रहे हैं, लेकिन स्थितियां तब भी जस के तस बनी रहती हैं। यहां तक की ग्रामीणों को फिर आंदोलन की राह पकड़नी पड़ती है। ऐसी ही एक मूलभूत सुविधा सड़क के लिए पिथौरागढ़ जनपद के गंगोलीहाट विकासखंड के ग्राम सभा टुडाचौड़ा के ग्रामीण भी कई वर्षों से मांग करते रहे, लेकिन सरकारें उनकी इस मांग की अनदेखी करते रहे।

सरकार की अनदेखी से तंग आकर 2020 में गांव की ग्राम प्रधान मनीषा बिष्ट व सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद सिंह ने ग्रामीणों को प्रेरित कर बिना सरकारी सहायता के श्रमदान से सड़क बनानी शुरू की और क्षेत्र के चार गांवों ग्रामसभा टुंडाचौड़ा, ईटाना, दुगईआगर और खेती गांव के समस्त लोगों ने मिलकर श्रमदान से सड़क का निर्माण किया।

श्रमदान से सड़क निर्माण तो हो गया लेकिन ग्रामीणों के सामने एक चुनौती और थी सड़क को पीएमजीएसवाई में शामिल कराने की। जिसके लिए टुंडाचौड़ा की प्रधान मनीषा बिष्ट और समाजसेवी गोविंद सिंह द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यमंत्री वीरेंद्र सिंह बिष्ट, राज्यमंत्री फ़क़ीर राम टम्टा जी से मिलकर सड़क को मंजूर करने के लिए पत्र दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्र जारी किया कि विभाग इस सड़क का आंकलन कर मुख्यमंत्री कार्यालय और ग्राम प्रधान मनीषा देवी को अवगत कराएं। ग्रमीणों द्वारा नवनिर्मित सड़क के आंकलन के बाद मुख्यमंत्री द्वारा इस सड़क के उद्घाटन की बात भी कही गई थी।

लेकिन एक बार फिर अधिकारियों की बेरूखी ग्रामीणों के इस प्रयास में आड़े आई है, आज तक विभाग के अधिकारियों ने पत्र का जबाब तो दूर धरातल पर जाकर एक बार देखने की जहमत नहीं दिखाई। इस विषय को अब टुंडाचौड़ा के ग्राम प्रधान मनीषा देवी और समाजसेवी गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी मांग का एक ज्ञापन उन्हें सौंपा और जनभावनाओं को देखते हुए श्रमदान से बनी सड़क को पीएमजीएसवाई में शामिल कराने की अपील की। मुख्यमंत्री ने उन्हें जल्द इस सड़क को पीएमजीएसवाई में शामिल कराने का आश्वासन दिया है।

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