उत्तराखंड सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी की यूसीसी मुहिम को राष्ट्रपति दफ्तर से भी मंजूरी मिल गई है। इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। महज 18 माह के भीतर ही सत्ता संभालने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पहल करते हुए कमेटी गठित करते हुए इसकी शुरुवात सरकार बनते ही कर दी थी। देश में उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना। अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक सा कानून होगा। बता दें कि संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने के साथ लिव इन रिलेशनशिप को लेकर कड़े कानून लागू कर दिए गए हैं। जहां लिव इन में रहने की जानकारी बच्चों को अपने अभिभावकों को देनी होगी वहीं इसके लिए पुलिस स्टेशन को जानकारी देना भी अनिवार्य होगा। लिव इन खत्म करने की सूचना भी दोबारा पुलिस प्रशासन को देनी होगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
उत्तराखंड में नए कानून के बाद से एक से ज्यादा शादियों पर भी रोक लगा दी गई है। तलाक, उत्तराधिकार जैसे अन्य मसलों पर सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून बन गया है। मुस्लिमों में भी तलाक के बिना दूसरी शादी करने पर रोक होगी। समान नागरिक संहिता के तहत महिलाओं को परिवार की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा। इस्लाम में हलाला, इद्दत और तीन तलाक जैसी परंपरराएं गैरकानूनी होंगी और ऐसा करने पर सजा का प्रावधान है। शादी, तलाक और बहुविवाह जैसे मामलों में अब मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू नहीं होगा। गौर हो कि समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक, राज्य की अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं है।