उत्तराखंड कांग्रेस में विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। चुनाव से पहले शुरू हुआ विवाद अब भी जारी है। कांग्रेस में विधानसभा 2022 की हार के बाद पार्टी के भीतर गुटबाजी और अंतर्कलह तेज थी ही वहीं प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पदों पर होने वाली नियुक्ति को लेकर अब इस लड़ाई के और तेज होने की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं।
बता दें कि रविवार को कांग्रेस हाईकमान ने लगभग एक महीने के इंतजार के बाद संगठन व विधानसभा के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा की थी। जहां दिग्गज नेताओं को किनारे कर कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने करण माहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस में गए भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य के नाम का एलान नेता प्रतिपक्ष के तौर पर किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में शिकस्त देने वाले विधायक भुवन कापड़ी सदन में उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी कुमाऊं मंडल में अधिक संभावनाएं देख रही है। यहां से पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 11 सीटों से जीत दर्ज की है। यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से बनाए गए हैं तो नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से।
हाई कमान द्वारा प्रदेश अध्यक्ष, नेता व उपनेता प्रतिपक्ष नियुक्त करते ही पार्टी में असंतोष पनपने लगा है। प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष जैसेअहम पद पर घोषणा से पार्टी में संग्राम की आशंका के मद्देनजर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने लंबे मंथन बाद नामों की घोषणा की। मगर जिस बात का डर था वही हुआ। अब धीरे धीरे कांग्रेस में विरोध के स्वर सामने आने लगे हैं।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के लिए पार्टी के भीतर गुटबाजी और अंतर्कलह को बड़ा कारण माना गया। प्रदेश की राजनीति के दो प्रमुख चेहरे हरीश रावत और प्रीतम सिंह अलग-अलग गुटों में बंटे नजर आए। पार्टी के तमाम मंचों पर एकता की बात तो हुई, लेकिन पूरे चुनाव में वह कहीं भी दिखाई नहीं दी।
प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से उनके करीबी पार्टी नेता व समर्थक मायूस हुए हैं। पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव गिरीश पुनेड़ा ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने प्रदेश में कांग्रेस की हार के कारण की समीक्षा रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में पार्टी की हार के लिए गुटबाजी को दोषी ठहराया गया है।प्रीतम ने कहा वह किसी गुटबाजी में नहीं रहे हैं। यह साबित होता है तो वह विधायकी से इस्तीफा देने को तैयार हैं।
वहीं नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल द्वाराहाट विधायक व प्रदेश महासचिव मदन सिंह बिष्ट के तेवर तल्ख हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को ही निशाने पर ले लिया। वे कहते दिखाई दिए कि गलत फैसलों से कांग्रेस रसातल पर पहुंच गई है। कांग्रेस विधायक मदन यही नहीं रुके उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को नौसिखिया करार दे दिया। कहा कि शीर्ष पर बैठे लोग पार्टी को आगे बढ़ाने के बजाय डुबाने पर तुले हैं। दो टूक कहा कि जब तक हाईकमान में बदलाव नहीं किया जाता कांग्रेस का भला नहीं हो सकता। उबरने के सपने देखना बेइमानी होगी।
गुटबाजी और अंतर्कलह से जूझ रही पार्टी कांग्रेस में आगे क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन प्रदेश कांग्रेस में नई नियुक्तियों के साथ ही पार्टी हाईकमान ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि पार्टी में किसी भी स्तर पर गुटबाजी नहीं चलेगी।