विशेष स्टोरी: फिल्म शूटिंग के लिए सबसे अनुकूल राज्य बन रहा उत्तराखंड, सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम है लागू

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उत्तराखंड फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से बॉलीवुड की पसंद बनता जा रहा है। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण सदैव ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र यह हिमालयी राज्य फिल्म मेकर्स की भी पहली पसंद बन गया है। एक समय था जब सुंदर भव्य पर्वतों, नदियों, खूबसूरत नजारों के लिए फिल्म मेकर्स कश्मीर और ऊटी जैसी जगहों का रुख करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड फिल्मों की शूटिंग के लिए बॉलीवुड की पहली है। जिसका एक बड़ा कारण राज्य में फिल्म शूटिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए, सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम को लागू करना है।

देखा जाता है कि कला और सिनेमा जगत में काम करने वाले पेशेवर हमेशा से ही ऐसी जगहों की तलाश में रहते हैं जहाँ उन्हें प्राकृतिक सौंदर्य, पर्वत श्रंखला, नदियाँ और अनदेखे दृश्य मिलते हों। वहीं वे चाहते हैं कि उन्हें शूटिंग के लिए बेहतर माहौल भी मिले। ऐसे में उत्तराखंड राज्य ने प्रदेश में शूटिंग की अनुमति के लिए सिंगल विंडो की प्रक्रिया शुरू की है जिसमे फिल्म निर्माताओं को शूटिंग शुल्क में विशेष छूट प्रदान की गई है।

यूँ तो बॉलीवुड हमेशा से ही उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों का कायल रहा है, उदाहरण के लिए साल 1963 की लोकप्रिय फिल्म गुमराह, जिसमें सुनील दत्त और माला सिन्हा मुख्य भूमिकाओं में थे या फिर राजेश खन्ना की कटी पतंग (1971), इस फिल्म ने दर्शकों के मन में नैनी झील की अमिट छाप छोड़ी हो ऐसे ही बाद में हिट फिल्म राम तेरी गंगा मैली जिसकी शूटिंग हर्षिल की खूबसूरत और मन को मोह लेने वाले वातावरण में हुई, नदियों की कल-कल के साथ बर्फ से लदे पहाड़ों को देखकर दिल में ठंडक सी महसूस होती है।

घर का चिराग (1989), सिर्फ तुम (1999), अरमान (2003), लक्ष्य (2004) अनेकों फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में हुई हैं, कुछ आंशिक रूप से तो कुछ पूरी तरह यहीं फिल्माई गई हैं। देखने में आया है की बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हर भाषा के फिल्मकार यहाँ आकर्षित होकर फिल्मो का निर्माण कर रहे हैं।

अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘कठपुतली’ हो या फिर सुपरहिट फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’, अजय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’, जॉन अब्राहम की फिल्म ‘बाटला हाउस’, अभिनेता अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘गुडबाय’, अभिनेत्री तापसी पन्नू की फिल्म ‘हसीन दिलरूबा’ और शाहिद कपूर की फिल्म ‘कबीर सिंह’ की शूटिंग भी उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में फिल्मायी गयी है।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 से अब तक करीब 800 छोटी-बड़ी हिंदी फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में हो चुकी हैं। वहीं उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद (UFDC) की नई फिल्म नीति भी बनकर तैयार है और इस नई नीति में फिल्मों को पहले से अधिक अनुदान की राशि को सम्मिलित किया गया है। पुरानी पीढ़ी के साथ साथ नयी प्रतिभाओं को भी अवसर दिया जा रहा है।

इसी क्रम में ओटीटी प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों को अनुदान के साथ-साथ अन्य पुरस्कारों द्वारा भी प्रोत्साहन के रूप में सम्मिलित किया गया है। नए-नए  शूटिंग डेस्टिनेशन को चिन्हित कर उनको भी शूटिंग के लिए सरल व सुगम बनाया जा रहा है जिससे उत्तराखंड में और अधिक फिल्मों की शूटिंग हो सके।

अभी हाल ही में राज्य में नेटफ्लिक्स फिल्म्स की ‘दो पत्ती’ की टीम यहां अपनी शूटिंग कर रही है। अपने नए-नए  प्रोडक्शन हाउस (‘ब्लू बटरफ्लाई फिल्म्स’) के साथ अभिनेत्री कृति सेनन निर्माता के तौर पर अपनी पहली फिल्म ‘दो पत्ती’ का निर्माण कर रही हैं, दो पत्ती का निर्देशन बीओबी के नाम से मशहूर शशांक चतुर्वेदी ने किया है और इसमें काजोल और कृति सैनन मुख्य भूमिका में हैं। इस फिल्म की शूटिंग की शुरुआत हो चुकी है। यह विशेष रूप से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी।

कनिका और कृति सेनन जो कि दोनों ही इस फिल्म में को-प्रोड्यूसर हैं, ने मुख्यमंत्री से भेंट की और बताया कि उत्तराखंड में शूटिंग के लिए उन्होंने 20 दिन में अपनी फ़िल्म प्रोडक्शन टीम को तैयार किया। यह सब उत्तराखण्ड के फ़िल्म फ्रेंडली वातावरण की वजह से ही हो पाया। उन्होंने बताया उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद(UFDC) द्वारा सिंगल विंडो सिस्टम के तहत शूटिंग अनुमति मिलना बहुत आसान हो गया है। यहाँ के लोकेशन डेस्टिनेशन फिल्म शूटिंग के लिहाज़ से बहुत ही अनुरूप भी हैं।स्टूडेंट ऑफ़ द इयर-2

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 से अब तक करीब 800 छोटी-बड़ी हिंदी फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में हो चुकी हैं। अब तक करीब 854 छोटी-बड़ी फिल्मों को शूटिंग के लिए अनुमति दी जा चुकी है। हर वर्ष उत्तराखंड में करीब डेढ़ हजार से अधिक वेब सीरीज, विज्ञापन, अन्य भाषाओं की फिल्में और धारावाहिकों की शूटिंग हो रही है।

उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी नितिन उपाध्याय बताते हैं कि उत्तराखंड में शूटिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आकर्षित हों और उन्हें परेशानी न हो, इसलिए प्रदेश सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है। सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने के बाद राज्य के किसी भी जिले में शूटिंग की अनुमति आवेदन के दो दिन के अंदर मिल जाती है। इसके लिए कहीं इधर-उधर भटकने की भी आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड फिल्म नीति के मुताबिक यदि किसी फिल्म की 75 प्रतिशत शूटिंग उत्तराखंड में होती है तो उसे फिल्म उत्पादन लागत का 30 प्रतिशत या अधिकतम डेढ़ करोड़ रुपये तक अनुदान दिया जाता है। शूटिंग के दौरान केएमवीएन और जीएमवीएन के सरकारी गेस्ट हाउस में 50 प्रतिशत शूट दिए जाने का भी प्रावधान है।

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