चंपावत/नैनीताल/ उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्णागिरि धाम यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और यातायात निगरानी को लेकर बड़ा और सख्त निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने चंपावत के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को आदेश दिया है कि थूलीगाड़ से भैरव मंदिर तक सभी बैरियर्स पर CCTV कैमरे लगाए जाएं और उनकी वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखा जाए।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने पारित किया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम 12 मार्च 2024 को जारी पिछले आदेश की अनुपालना की पुष्टि के लिए उठाया गया है।
9 अप्रैल तक रिपोर्ट देने का निर्देश
कोर्ट ने SSP को CCTV इंस्टॉलेशन रिपोर्ट अगली सुनवाई तिथि 9 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह निर्देश पूर्णागिरि टैक्सी एसोसिएशन द्वारा दायर नई याचिका पर दिया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पहले दिए गए निर्देशों की अनदेखी की गई है।

टैक्सी संचालन पर रोजाना की सीमा और अवैध शुल्क वसूली का मामला
याचिका में कहा गया है कि डिस्ट्रिक्ट पंचायत द्वारा जारी टेंडर के तहत बूम मंदिर टैक्सी समिति को प्रतिदिन केवल 75 टैक्सियों के संचालन की अनुमति दी गई है। वहीं, जो टैक्सियां समिति के साथ पंजीकृत नहीं हैं, उनसे ₹1000 अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है, जो पूरी तरह अवैध है।
प्रशासन और समिति की मिलीभगत का आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस और जिला पंचायत इस समिति के साथ मिलीभगत कर रही हैं और यह न्यायालय के पूर्व आदेशों का उल्लंघन है। इससे पहले भी टैक्सी संचालन की टेंडर प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है।
पहले कोर्ट में क्या कहा गया था?
पिछली सुनवाई में जिला पंचायत के अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि टेंडर केवल शटल सेवा तक सीमित है और इसका उद्देश्य किसी अन्य वाहन को मार्ग से प्रतिबंधित करना नहीं है। इसी आश्वासन के आधार पर पूर्व याचिका का निपटारा किया गया था।
हाईकोर्ट के आदेश का प्रभाव: अब यात्रा होगी सुरक्षित और व्यवस्थित
उत्तराखंड हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद उम्मीद है कि पूर्णागिरि यात्रा अब और सुरक्षित, पारदर्शी और व्यवस्थित हो सकेगी। CCTV निगरानी से अव्यवस्था और मनमानी पर रोक लगेगी, जिससे श्रद्धालुओं को एक बेहतर और निष्पक्ष यात्रा अनुभव मिलेगा।