नई दिल्ली में नवनिर्मित उत्तराखंड निवास अब आम जनता के लिए भी उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में बुधवार को तत्काल शासनादेश संशोधित करने के निर्देश दिए। सीएम ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड के आम नागरिकों को भी उपलब्धता के आधार पर यहां कक्ष आरक्षित करने की सुविधा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कक्ष आरक्षण की दरों का पुनर्निर्धारण करने के भी निर्देश दिए।
क्या था विवाद?—
उत्तराखंड निवास को लेकर राज्य संपत्ति विभाग द्वारा 13 दिसंबर को जारी शासनादेश में केवल उच्च अधिकारियों, राजनेताओं, और विशेष पदों पर आसीन लोगों को ठहरने की अनुमति दी गई थी। इस सूची में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, न्यायाधीश, सांसद, विधायक, और सचिव स्तर तक के अधिकारियों के नाम शामिल थे। आम नागरिकों के ठहरने का कोई प्रावधान नहीं था।
इस आदेश को लेकर जनमानस और मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं आईं, जिसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने मामले का संज्ञान लिया और इसे संशोधित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड निवास को केवल विशिष्ट व्यक्तियों तक सीमित रखना उचित नहीं है और यह सभी उत्तराखंडवासियों के लिए सुलभ होना चाहिए।
उत्तराखंड निवास की खासियत—
दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र में लगभग 120 करोड़ रुपये की लागत से बने इस भवन का 6 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री धामी ने लोकार्पण किया था। यह भवन उत्तराखंड की संस्कृति, लोक कला और वास्तुकला का प्रतीक है। इसकी दीवारों को पारंपरिक पहाड़ी शैली के पत्थरों से सजाया गया है, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।
उत्तराखंड निवास में पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था भी की गई है। लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री ने इसे राष्ट्रीय राजधानी में राज्य की गरिमा का प्रतीक बताया था।