देहरादून नगर निगम का कार्यकाल दो दिसंबर को पूर्ण हो रहा है। इससे पहले निगम की अंतिम बोर्ड बैठक आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी है। शहर में बनाए जा रहे वेंडिंग जोन में 50 प्रतिशत दुकानें स्थानीय बेरोजगारों को देने पर बोर्ड ने स्वीकृति दी। साथ ही नगर निगम के फूड प्लाजा में भी स्थानीय बेरोजगारों को 75 प्रतिशत दुकानों के आवंटन का प्रस्ताव पास किया गया।
जल्द ही शहर में 14 स्मार्ट वेंडिंग जोन और एक स्मार्ट फूड प्लाजा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा बोर्ड बैठक में राज्य आंदोलनकारियों को भवन कर में शत-प्रतिशत छूट देने पर भी सहमति बनी।
गुरुवार को नगर निगम की वर्तमान कार्यकारिणी की अंतिम बोर्ड बैठक नगर निगम सभागार में आयोजित हुई। जिसमें महापौर सुनील उनियाल गामा ने डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला और कैंट विधायक सविता कपूर की उपस्थिति में सदन की कार्रवाई शुरू की। एक दिन पूर्व ही आइएएस मनुज गोयल के नगर आयुक्त का चार्ज छोड़ने के कारण बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त का पद रिक्त रहा। जिस पर सदन ने उप नगर आयुक्त रोहिताश शर्मा को सदन की कार्रवाई संचालित करने के लिए अधिकृत किया।
बोर्ड में एजेंडे में शामिल 12 प्रस्तावों पर चर्चा हुई। जिनमें से ज्यादातर को पास कर दिया गया। साथ ही प्रत्याशा में आए प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई। बैठक में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी स्वर्गीय सुशीला बलूनी के नाम पर उनके घर के लिए जाने वाली सड़क का नाम रखा जाएगा और वहां पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
लैंसडौन चौक, सर्वे चौक, फव्वारा चौक और छह नंबर पुलिया चौक में से किसी भी चौक का नाम भगवान परशुराम के नाम पर रखने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी गई। सिल्वर सिटी के आसपास किसी चौक का नाम पद्मश्री अवधेश कौशल के नाम पर रखा जाएगा। लैंसडौन चौक का नाम वीर शहीद केसरी चंद के नाम पर रखा जाएगा। दिलाराम बाजार चौक में पूर्व विधायक स्व. हरबंस कपूर के नाम पर स्मृति द्वार बनाया जाएगा।
नगर निगम की ओर से वर्ष 2016 में मलिन बस्ती नियमावली लागू होने के बाद बस्तियों में बने मकानों को बिजली व पानी के कनेक्शन देने पर लगी रोक हटा दी गई है। बोर्ड की बैठक में पार्षद हरि भट्ट ने मुद्दा उठाया कि नगर निगम की एनओसी न मिलने के कारण बस्तीवासी नए कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं। जिस पर सदन ने एनओसी की शर्त हटाने का निर्णय लिया।
पलटन बाजार के कुछ व्यापारियों की ओर से कई सालों का कर जमा न करने पर निगम की ओर से भारी-भरकम ब्याज भी लगाया जा रहा था। जिसे माफ करने की मांग व्यापारी लगातार कर रहे थे। इस पर बोर्ड ने एकमुश्त कर अदा करने पर ब्याज की धनराशि माफ करने का निर्णय लिया। इससे शहर के कई बड़े बकायेदार निगम में कर जमा करने आएंगे और निगम के राजस्व में इजाफा होगा।
नगर निगम क्षेत्र में होर्डिंग के टेंडरों में गड़बड़ी कर निगम को करोड़ों का घाटा पहुंचाने के आरोप पर महापौर ने प्रकरण की जांच कराने का निर्णय लिया। वहीं, कूड़ा उठान में लगी ट्रैक्टर-ट्रालियों के फेरों और खर्चों को लेकर लग रहे गड़बड़ी के आरोपों की भी जांच की जाएगी। बता दें कि कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने होर्डिंग टेंडर में करोड़ों रुपये के घपले का आरोप लगाया है। थापर का दावा है कि वर्ष-2013 से वर्ष-2023 तक होर्डिंग कारोबार में 300 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। थापर ने मामले में न्यायालय जाने की बात भी कही है।
नगर निगम की बोर्ड बैठक में महावीर चौक (सहारनपुर चौक) व महर्षि कश्यप चौक (लालपुल चौक) का नाम परिवर्तित करने का भी प्रस्ताव आया। जिसमें महावीर चौक का नाम श्री गुरु राम राय करने और महर्षि कश्यप चौक का नाम श्री महंत इंदिरेश करने का अनुरोध था। इस पर पार्षद सतीश कश्यप और पार्षद अजय सिंघल ने आपत्ति जताई। जिस पर महापौर सुनील उनियाल गामा ने आसपास के किन्ही अन्य चौक के नाम पर विचार करने की बात कही।
कुछ समय में शहर में डेंगू के प्रकोप के दौरान लापरवाही बरतने वाले प्रतिष्ठानों पर भारी-भरकम जुर्माने लगाए गए। लेकिन बड़ी संख्या में जुर्माने की राशि निगम को नहीं मिली। तमाम व्यक्तियों को आरसी जारी की गई थी। अब निगम की बोर्ड बैठक में सभी आरसी निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।
मियांवाला का नाम योगेश्वर नगर और पीलीकोठी चौक का नाम कैप्टन ध्यानी किए जाने के प्रस्ताव का क्षेत्रीय पार्षद पूजा नेगी ने विरोध किया। कहा कि क्षेत्रवासियों ने ऐसी कोई मांग नहीं उठाई है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की ओर से दिया गया प्रस्ताव है। आमजन की राय के बिना नाम परिवर्तन न किया जाए। इस पर महापौर ने क्षेत्रीय विधायक, पार्षद को शामिल कर पांच सदस्यीय समिति बनाकर निर्णय लेने की बात कही।
फ्री होल्ड डालनवाला थाने के पास स्थित माधव राम क्वाटर्स को फ्री होल्ड करने पर भी निगम बोर्ड ने मुहर लगा दी। उक्त 32 फ्लैटों को तत्कालीन नगर पालिका ने 99 साल की लीज दी थी। वर्ष-2013 में लीज समाप्त होने के बाद तत्कालीन महापौर विनोद चमोली ने फ्लैट को फ्री होल्ड करने का निर्णय लिया था, लेकिन निगम के स्तर पर फाइल आगे नहीं बढ़ पाई थी।