देहरादून, 3 मई 2025/ उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2025 का शुभारंभ श्रद्धालुओं के अभूतपूर्व उत्साह के साथ हुआ है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के पहले ही दिन 30,154 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन कर यात्रा के ऐतिहासिक सीजन की शुरुआत कर दी है। यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में भी अब तक कुल 46,896 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं। यह आंकड़े साफ संकेत दे रहे हैं कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
तीनों धामों में उमड़ा आस्था का सैलाब
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केदारनाथ धाम: 2 मई को कपाट खुलने के बाद पहले ही दिन 30,154 श्रद्धालु पहुंचे। बाबा केदार के जयकारों से घाटी गूंज उठी।
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यमुनोत्री धाम: 30 अप्रैल से अब तक 29,534 श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन कर चुके हैं, जिसमें 15,750 पुरुष, 12,792 महिलाएं और 992 बच्चे शामिल हैं।
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गंगोत्री धाम: अब तक 17,362 श्रद्धालुओं ने मां गंगा के दर पर शीश नवाया है, जिनमें 9,382 पुरुष, 7,048 महिलाएं और 932 बच्चे शामिल हैं।
बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा अभी बाकी
अब सबकी निगाहें 4 मई को खुलने वाले बदरीनाथ धाम के कपाट पर हैं। इसके अलावा हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोले जाएंगे। अनुमान है कि बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या और भी अधिक हो सकती है।
सरकार के सामने बढ़ी चुनौती
तीर्थयात्रियों की भीड़ के चलते राज्य सरकार के सामने भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून में होटल, धर्मशालाएं पहले ही फुल बुक हो चुकी हैं। बढ़ती भीड़ के मद्देनजर सरकार की तैयारियों की असली परीक्षा अब शुरू हो रही है।
कश्मीर की अस्थिरता से बदला पर्यटन का रुख?
पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों के बाद पर्यटकों का रुख उत्तराखंड और हिमाचल की ओर बढ़ा है। इससे चारधाम यात्रा में भी अप्रत्याशित भीड़ बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है।
गर्मी की छुट्टियों और गर्मी से बचाव का असर
अब जब स्कूलों की गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं और मैदानी इलाकों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, तो बड़ी संख्या में लोग उत्तराखंड के चारधाम और हिल स्टेशनों का रुख कर सकते हैं। इससे राज्य के संसाधनों पर और अधिक दबाव पड़ने की आशंका है।
चारधाम यात्रा 2025 श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह का प्रतीक बनकर उभर रही है। मगर इसके साथ ही राज्य सरकार के सामने सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और आपदा प्रबंधन की कठिन चुनौतियां भी खड़ी हैं। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार इस ऐतिहासिक यात्रा को कितना सुचारु और सुरक्षित बना पाती है।