उत्तराखंड में ततैया के हमले बढ़े, टिहरी में ततैया के हमले से पिता-पुत्र की मौत, 7 दिनों में दूसरी घटना

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उत्तराखंड के टिहरी जिले में हाल ही में घटित ततैया के हमले ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे राज्य को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस घटना में एक पिता और पुत्र की मौत हो गई, जब वे जंगल में गाय चराने के लिए गए थे। यह दुखद घटना राज्य में जंगली जानवरों और कीड़ों के हमलों की घटनाओं में एक और खतरनाक अध्याय जोड़ती है, जो पहले से ही गुलदार, हाथी, भालू और सर्प दंश जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। ततैया के हमले की यह घटना राज्य के लोगों के लिए नई चुनौती के रूप में उभरी है।

चित्र साभार – सोशल मीडिया

घटना का विवरण—
30 सितंबर को टिहरी जिले के ग्राम तुनेटा के निवासी 47 वर्षीय सुंदरलाल और उनके 8 वर्षीय बेटे अभिषेक पर जंगल में ततैया के झुंड ने हमला कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब दोनों गाय चरा रहे थे। सबसे पहले ततैया ने अभिषेक पर हमला किया। बेटे को बचाने के प्रयास में सुंदरलाल ने उसे ढकने की कोशिश की, लेकिन ततैया के झुंड ने दोनों को बुरी तरह डंक मार दिया। बताया जा रहा है कि अभिषेक पर लगभग 60 डंक मारे गए, जबकि सुंदरलाल पर 100 से अधिक डंक लगे। गांव वालों ने तत्काल दोनों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन गंभीर जख्मों के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका।

दूसरी घटनाएं—
टिहरी की घटना पहली नहीं है जब उत्तराखंड में ततैया के हमले से मौतें हुई हैं। 24 सितंबर को बागेश्वर जिले के तोली गांव में रमेश सिंह नामक व्यक्ति पर ततैया ने हमला कर दिया था। वह अखरोट तोड़ने जंगल में गए थे, जहां ततैया के झुंड ने उन पर हमला किया। रमेश सिंह को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। इसी तरह, 2022 में उत्तरकाशी के अस्सी गंगा घाटी स्थित एक इंटर कॉलेज में ततैया ने 20 छात्रों पर हमला कर दिया था, हालांकि इस घटना में किसी की मौत नहीं हुई थी, लेकिन कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

ततैया के हमले का प्रभाव और खतरा—
ततैया के हमले की घटनाएं उत्तराखंड के पहाड़ी और जंगल क्षेत्रों में एक नया खतरा बनकर उभरी हैं। पिथौरागढ़ जिले में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां ततैया के हमले से चार लोगों की जान चली गई। 2022 में पिथौरागढ़ में एक नेपाली नागरिक पर भी ततैया का हमला हुआ था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। इन घटनाओं ने राज्य सरकार और वन विभाग को ततैया को जंगली जानवरों के साथ खतरनाक जीवों की श्रेणी में शामिल करने पर मजबूर कर दिया है। अब राज्य सरकार इन हमलों में पीड़ितों को मुआवजा प्रदान कर रही है।

मुआवजे की नीति—
ततैया के हमले में गंभीर रूप से घायल होने पर राज्य सरकार द्वारा एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है, अपंगता के मामलों में तीन लाख रुपये और मौत के मामलों में छह लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाता है। इस घटना के बाद मृतक सुंदरलाल के परिवार ने मुआवजे की मांग की है, क्योंकि सुंदरलाल अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। ग्रामीणों और क्षेत्र पंचायत सदस्य पूनम ने सरकार से जल्द से जल्द मुआवजा देने की मांग की है।

चित्र साभार – सोशल मीडिया

ततैया का आक्रामक व्यवहार—
ततैया के हमले आमतौर पर तब होते हैं जब उनका घोंसला या परिवेश खतरे में महसूस करता है। देहरादून की वेटरनरी डॉक्टर अदिति ने बताया कि ततैया का जहर अत्यधिक खतरनाक होता है। उनका डंक जहरीला होता है, जिससे शरीर में टॉक्सिन फैलता है। अधिक मात्रा में डंक मारने से व्यक्ति का रक्तचाप गिर जाता है, जिससे उसकी मृत्यु हो सकती है। डॉक्टर अदिति ने यह भी सुझाव दिया कि जंगलों में जाते समय गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे ततैया आक्रामक हो जाती हैं। इसके अलावा, अधिक इत्र या परफ्यूम का उपयोग भी ततैया को आकर्षित कर सकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया—
टिहरी की इस दुखद घटना पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि यह बेहद दुखद है और सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि रिहायशी इलाकों, स्कूलों और अन्य स्थानों पर ततैया के छत्तों को हटाया जाए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मुआवजे की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर पीड़ित परिवार को राहत दी जाए।

निष्कर्ष—
उत्तराखंड में ततैया के हमले एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहे हैं, जो राज्य के लोगों के लिए एक नई चुनौती है। जंगली जानवरों और सर्पदंश से होने वाले खतरे पहले से ही राज्य की चिंता का विषय थे, अब ततैया का यह नया खतरा राज्य सरकार और वन विभाग के लिए एक नई जिम्मेदारी लेकर आया है। इसके बावजूद, सरकार ततैया के हमलों से पीड़ित लोगों के लिए मुआवजे की व्यवस्था कर रही है, ताकि पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता मिल सके।


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