उत्तराखंड 9 नवंबर 2024 को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू की जाएगी? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि राज्य सरकार इस ऐतिहासिक कदम को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर लागू करना चाहती है। UCC लागू करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने समय से पहले ही अपना काम पूरा कर लिया है, और अब प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
समिति द्वारा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार—
UCC लागू करने के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय समिति, जिसकी अध्यक्षता पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह कर रहे हैं, ने 7 अक्टूबर 2024 को अंतिम बैठक के बाद UCC के नियमों को अंतिम रूप दे दिया। समिति में सुरेखा डंगवाल, अभिनव कुमार, अमित सिन्हा और मनु गौड़ भी सदस्य के रूप में शामिल थे। बैठक के दौरान सभी लंबित बिंदुओं पर चर्चा हुई और नियमावली को अंतिम रूप दिया गया। अब इस नियमावली को चार-पांच दिनों में प्रिंट कर मुख्यमंत्री धामी को सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद इसे लागू करने की दिशा में अगला कदम उठाया जाएगा।
UCC लागू करने की प्रक्रिया—
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की प्रक्रिया कई चरणों से गुजर रही है। समिति द्वारा तैयार किए गए नियमावली के ड्राफ्ट को सरकार को सौंपा जाएगा, जिसके बाद राज्य कैबिनेट इसकी समीक्षा करेगी। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद UCC लागू कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि 9 नवंबर को UCC को लागू करने का लक्ष्य है।
नागरिकों के लिए नए प्रावधान—
UCC लागू होने के बाद राज्य के नागरिकों को विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, और वसीयत जैसी कानूनी प्रक्रियाओं के लिए नया कानूनी ढांचा मिलेगा। इन सभी प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बनाने के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से नागरिक मुफ्त में विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कर सकेंगे। साथ ही, वसीयत संबंधी जानकारी भी पोर्टल या ऐप पर दर्ज की जा सकेगी। यह मोबाइल ऐप लगभग तैयार है और राज्य सरकार इसे जल्द ही अंतिम रूप देगी।
यूसीसी लागू करने का ऐतिहासिक महत्व—
उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता लागू करने का यह निर्णय न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। UCC का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानूनी ढांचा प्रदान करना है, चाहे उनका धर्म, जाति, या पंथ कुछ भी हो। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, और अन्य व्यक्तिगत मामलों में एक समान कानून लागू होगा।
लंबी प्रक्रिया के बाद मिली सफलता—
UCC को लागू करने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने काफी पहले से काम शुरू कर दिया था। फरवरी 2024 में, मुख्यमंत्री धामी ने UCC के नियम बनाने और इसके क्रियान्वयन की तैयारी के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति को तीन उप-समितियों में बांटा गया, जिनका कार्य नियमों की रूपरेखा तैयार करना, क्रियान्वयन में सुगमता और पारदर्शिता लाना, और क्षमता विकास और प्रशिक्षण का काम करना था। अब, सभी समितियों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और इस आधार पर ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया है। गौर हो कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि राज्य सरकार इस ऐतिहासिक कदम को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर लागू करना चाहती है।
सकारात्मक प्रतिक्रियाएं और चुनौतियाँ—
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC लागू करने की प्रतिबद्धता जताते हुए इसे समाज के सभी वर्गों के लिए लाभकारी बताया है। उनका मानना है कि इससे राज्य में कानूनी प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और सरल होंगी। हालांकि, इस कदम के कुछ विरोधी भी हैं, जो इसे सामाजिक विविधता के लिए चुनौती मानते हैं। लेकिन धामी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस कानून का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है।
उत्तराखंड 9 नवंबर 2024 को समान नागरिक संहिता लागू करके देश में एक नई मिसाल कायम करने की तैयारी में है। विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किए गए नियमों के आधार पर यह कानून विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और वसीयत जैसे मामलों को सुव्यवस्थित करेगा। मुख्यमंत्री धामी की यह घोषणा राज्य के नागरिकों के लिए एक बड़ा कदम है, जिससे उन्हें अधिक सुलभ और पारदर्शी कानूनी सेवाएं मिल सकेंगी। अब, सभी की नजरें 9 नवंबर पर हैं, जब उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा जो UCC को लागू करेगा।
समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य देश में समानता, न्याय और समरसता को बढ़ावा देना है। इससे धार्मिक और कानूनी असमानताएँ समाप्त होंगी, महिलाओं के अधिकार मजबूत होंगे, और समाज में एकता का भाव उत्पन्न होगा। UCC लागू होने से नागरिकों को सरल और पारदर्शी कानूनी ढांचा मिलेगा, जिससे सामाजिक और कानूनी सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
हालांकि समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर विचारधाराओं और तर्कों का विभाजन है। जहां इसके समर्थक इसे समानता, आधुनिकता और एकता का प्रतीक मानते हैं, वहीं विरोधी इसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं।