कर्नाटक के रायचूर से जीका वायरस के पहले मामले को पुष्टि हुई है। जीका वायरस का पहला मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। खबरों के मुताबिक, संक्रमित की पहचान 5 वर्षीय लड़की के रूप में हुई है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि लोग इंफेक्शन के लक्षणों को डेंगू-चिकनगुनिया समझ रहे थे और जीक वायरस की पहचान किस्मत से हुई। जीका वायरस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने जानकारी दी है कि राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है और नए मामले आने पर तत्काल एहतियाती कदम उठाने के लिए कहा गया है।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने बताया कि जीका वायरस का खुलासा तब हुआ, जब सैंपल का डेंगू और चिकनगुनिया टेस्ट करवाया जा रहा था। आमतौर पर ऐसे सिर्फ 10 प्रतिशत सैंपल को पुणे स्थित लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है। जहां 3 में से 1 सैंपल में जीका वायरस इन्फेक्शन पाया गया। मंत्री के.सुधारक ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। लोगों के लिए जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री सुधाकर ने कहा कि कुछ माह पहले जीका वायरस के मामले केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में पाए गए थे, अब ताजा मामला पहली बार कर्नाटक में सामने आया है।स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने कहा कि राज्य में जीका वायरस का यह पहला मामला है और सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रही है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक जीका वायरस के कुछ संक्रमित मामलों में इसके लक्षण 3 से 14 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं। जो कि 2 से 7 दिन तक परेशान कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जीका वायरस से बचाने वाली वैक्सीन नहीं बनी है। इसलिए, जीका वायरस से बचने में मच्छरों से बचाने वाले उपाय मदद कर सकते हैं।
जीका वायरस और डेंगू-चिकनगुनिया में कुछ समानता है, जिसके कारण इन के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, जीका वायरस भी एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। यही मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया का कारण भी बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में की गई थी।
लक्षण—
रैशेज
बुखार
आंख आना (लाल होना)
शरीर व जोड़ों में दर्द
अच्छा महसूस ना करना
सिरदर्द, आदि
बचाव—
दिन में हाथ-पैर को ढककर रखें।
हल्के रंग वाले कपड़े पहनें।
खिड़की-दरवाजे बंद करके रखें।
मच्छर भगाने वाले उपाय अपनाएं।
घर के अंदर या आसपास पानी इकट्ठा ना होने दें।