विशेष; क्योँ युवा प्रतिभावान नेताओं को सहेज़ नहीं पाती कांग्रेस?

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आइए थोड़ा पीछे चलते हैं और याद करते है 13 दिसंबर 2018 का वो समय जब मध्य प्रदेश के दो दिग्गजों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ थामे,हँसते मुस्कराते राहुल गाँधी ने अपनी एक तश्वीर के साथ “लियो टॉलस्टॉय” के एक कथन को ट्वीट किया था।
“दो शक्तिशाली योद्धा होते हैं धैर्य और समय”
लेकिन एक साल होते होते धैर्य जवाब दे गया और आज मध्य प्रदेश में समय है बीजेपी का। कांग्रेस की स्थिति आज उलट चुकी है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार का समय समाप्त हुआ, सिंधिया का धैर्य टूटा और आज वह बीजेपी के सिपाही हैं।
यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से बगावत कर दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के संख्या-बल में बहुत कम का अंतर था, इसलिए उनकी बगावत के फलस्वरूप राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी सत्ता में आ गई लेकिन राजस्थान में आंकड़े इससे थोड़ा उलट है, इसी कारणवश बीजेपी चुप्पी साधे नज़र आती है। अभी राजस्थान प्रकरण को लेकर चल रही तमाम अटकलों के बीच कांग्रेस के युवा नेताओं के ट्वीट कांग्रेस की अंदरूनी हालात दिखाते हैं।
कांग्रेस पार्टी की पूर्व सांसद और अभिनेता संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त ने यह कहते हुए पायलट का बचाव किया कि अगर कोई महत्वाकांक्षी है तो इसमें बुरा क्या है? उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुझे नहीं लगता है कि महत्वाकांक्षी होना गलत है। उन्होंने (सिंधिया और पायलट ने) सबसे कठिन घड़ी में कठिन मेहनत की थी।’ 
प्रिया दत्त से पहले जितिन प्रसाद ने भी ट्वीट कर अपनी मायूसी का इजहार किया था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सचिन पायलट सिर्फ मेरे साथ काम करने वाले शख्स नहीं, बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। कोई इस बात को नहीं नकार सकता कि इन दिनों उन्होंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम किया है। उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति जल्द सुधर जाएगी, दुखी भी हूं कि ऐसी नौबत आई।’  

ज्योतिरादित्य सिंधिया या सचिन पायलट हों, अशोक तंवर हों या हेमंता बिस्वा शर्मा, यह सारे युवा नेता राहुल गांधी के करीबी थे और निश्चित रूप इनका जाना राहुल गांधी के नेतृत्व की कमियां दर्शाता है. इस समय पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं,जिसमे वो खुद को सेक्रेटरी जैसी भूमिका में सीमित रखती हैं और हर फैसला अपने पुत्र राहुल और पुत्री प्रियंका गांधी पर छोड़ देती हैं।
कांग्रेस में इस समय नए बनाम पुराने की लड़ाई अपने सबसे तीखे दौर में है. पहले मध्यप्रदेश और अब राजस्थान इसकी ताज़ा मिसाल है। मुख्यममंत्री अशोक गहलोत के सामने युवा नेता, राज्य संगठन और सरकार में अपनी कथित अनदेखी से विचलित सचिन पायलट एक बड़ी चुनौती बन कर खड़े हैं और जो अपने आप में सारी कहानी बयाँ कर रहा है।
  2014 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद से करीब  आधा दर्जन पूर्व केंद्रीय मंत्री, तीन पूर्व मुख्यमंत्री, राज्य कांग्रेस के चार मौजूदा और भूतपूर्व अध्यक्ष पार्टी छोड़ चुके हैं। ओडीसा में गिरधर गमांग और श्रीकांत जेना, गुजरात में शंकर सिंह बाघेला, तमिलनाडु में जयंती नटराजन, कर्नाटक में एसएम कृष्णा, यूपी में बेनीप्रसाद वर्मा और रीता बहुगुणा जोशी और हरियाणा में वीरेंद्र सिंह और अशोक तंवर, असम में हेमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडु, मणिपुर में मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह, महाराष्ट्र में नारायण राणे, जैसे प्रभावशाली नेता पार्टी छोड़ने वालों में हैं। शायद ही कोई ऐसा राज्य हो जहाँ कांग्रेस इस्तीफों, बिखराव और कलह से मुक्त हो।  
कांग्रेस में अंदरूनी कलह के इस दौर का अंत जिस भी रूप में हो, इस प्रकरण ने एक बार फिर उन कमजोरियों को सार्वजनिक रूप से खोल कर रख दिया है जिनसे कांग्रेस ग्रसित है। फिलहाल तो कांग्रेस का नजारा ये है कि युवा नेता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं कि बूढ़े क्षत्रपों ने पार्टी पर कब्जा जमाया हुआ है। केंद्रीय आलाकमान भी सुस्त सा नजर आता है। और यही कारण है की इस समय कांग्रेस और विपक्षी दलों की थकान देश की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर भारी पड़ रही है।

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2 thoughts on “विशेष; क्योँ युवा प्रतिभावान नेताओं को सहेज़ नहीं पाती कांग्रेस?

  1. Do you have abdominal pain in the lower left part of the abdomen and a change in bowel habits constipation or diarrhoea or alternating between both , with a mild fever and nausea and vomiting?
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