ओम जोशी
बीसीसीआई की सीओए (क्रिकेट प्रशासक समिति) ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) को प्रदेश में क्रिकेट संचालन के लिए पूर्ण मान्यता दे दी है। मान्यता देने के बाद आखिरकार इस लड़ाई के साथ सामानांतर चलती आ रही एक अंदरूनी वर्चस्व की लड़ाई का भी अंत हुआ। उम्मीद लगाया जा रहा है कि बीसीसीआई के इस कदम के बाद हमारे उन हज़ारों सुनहरे मोतियोँ को संजोने में मदद मिलेगी, जो मजबूरन दूसरे राज्योँ की बैसाखी पकड़कर अपना हुनर साबित कर रहे थे।
BCCI द्वारा पूर्ण मान्यता देने के निर्णय से राज्यवासी इस निर्णय से खुश हैं। उत्तराखंड राज्य किसी भी हिमालयी राज्य से कम नहीं है जहाँ पूर्व में BCCI ने मान्यता दी हो। हालाँकि इसे बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था,मगर पहले चार और फिर दो शक्ति केंद्र बन जाने के कारण ये अधर में लटकी रही जिसे अब पूर्णविराम भी मिला।
वहीँ उल्लेखनीय है की उत्तराखंड के कई युवा आज भी भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड की और से खेलते हैं और अपना नाम कमाते हैं। मैन & वीमेन दोनों ही प्रतियोगिताओं में इस राज्य के क्रिकेटर राष्ट्रीय स्तर पर लगातार खेल रहे हैं जिसकी जीती जागती मिशाल ऋषभ पंत और एकता बिष्ट भी है। राज्य सरकार की कोशिश होनी चाहिए की प्रदेश के कोने कोने से ढूंढ़कर प्रतिभाओं को निखारे चाहे वो कितने दुरुस्थ स्थानों पर हों।अगर राज्य की विशेषता की बात की जाये तो हिमाचल से प्रेरणा लीजिये, आप हिमाचल से उन्न्नीस नहीं बीस ही साबित होंगे।