चारधाम यात्रा बंदी की तैयारियां तेज, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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दीपोत्सव के साथ गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की प्रक्रिया शुक्रवार को शुरू हुई, और आज (शनिवार) को अन्नकूट पर्व पर यह कपाट दोपहर 12:14 बजे बंद कर दिए गए। इस अवसर पर गंगोत्री धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे, जिन्होंने ‘हर-हर गंगे..जय मां गंगे’ के जयकारों से धाम को गूंजायमान कर दिया। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव मूर्ति को शीतकालीन पड़ाव मुखबा भेजा गया।

चित्र साभार – सोशल मीडिया (file footage)

यमुनोत्री धाम के कपाट भी कल (रविवार) को भैयादूज पर्व पर दोपहर 12:05 बजे बंद होंगे। यमुनोत्री में भी कपाट बंदी की तैयारियां जोरों पर हैं। मां यमुना की उत्सव मूर्ति खरसाली गांव के लिए रवाना होगी, जहां श्रद्धालु शीतकाल में दर्शन कर सकेंगे।

चित्र साभार – सोशल मीडिया (file footage)

इस वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान 15,21,752 तीर्थयात्री पहुंचे, जिनमें यमुनोत्री धाम में 7.10 लाख और गंगोत्री धाम में 8.11 लाख श्रद्धालु शामिल हैं।

केदारनाथ धाम का कपाट भी बंद होगा—

केदारनाथ धाम के कपाट भी कल (3 नवंबर) को सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस बार 16 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए हैं। पिछले तीन सप्ताह से प्रतिदिन 13,000 से 20,000 श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।

यात्राकाल में आई आपदा के बावजूद केदारनाथ धाम की यात्रा ऐतिहासिक रही है। 31 अक्टूबर तक 16,02,144 श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। हेली सेवा से भी 1.26 लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे हैं, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को अच्छी आमदनी हो रही है।

चित्र साभार – सोशल मीडिया (file footage)

कपाट बंद होने की प्रक्रिया—

केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की पूजा ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होगी। इसी दिन गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली मुखबा भेजी जाएगी। गंगोत्री और यमुनोत्री के शीतकालीन पड़ाव फूलों से सजाए गए हैं।

चित्र साभार – सोशल मीडिया (file footage)

बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद होंगे, और मद्महेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद किए जाएंगे। चारधाम यात्रा का यह अंतिम चरण श्रद्धालुओं में खासा उत्साह पैदा कर रहा है, और बड़ी संख्या में लोग इन पवित्र स्थलों के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

चारधाम यात्रा का यह वर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा है, जहां बुरे मौसम और आपदाओं के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी नहीं आई। चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायियों को भी इस साल अच्छा लाभ मिल रहा है, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है।


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