कृषकों को डिजिटल भुगतान, पारदर्शिता और लाभ की गारंटी; कीवी, ड्रैगन फ्रूट, सेब और मिलेट मिशन से आएगी हरित क्रांति
देहरादून, शनिवार/ उत्तराखंड की कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में ई-रूपी प्रणाली और चार महत्वाकांक्षी कृषि नीतियों का शुभारंभ किया।
इन पहलों का उद्देश्य राज्य के पर्वतीय और मैदानी इलाकों में किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करना, पलायन पर नियंत्रण पाना और उत्तराखंड को आत्मनिर्भर एवं अग्रणी कृषि राज्य के रूप में स्थापित करना है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर आगामी फ्लावर और हनी पॉलिसी की भी घोषणा की, जो जल्द ही लागू की जाएंगी।
ई-रूपी प्रणाली: डिजिटल भारत की ओर एक और कदम
ई-रूपी प्रणाली एक बिचौलिया-मुक्त, पारदर्शी और तेज डिजिटल भुगतान माध्यम है, जिसके तहत किसानों को अनुदान राशि SMS या QR कोड के रूप में ई-वाउचर द्वारा सीधे मोबाइल पर मिलेगी। इस वाउचर का उपयोग वे अधिकृत विक्रेताओं से बीज, खाद और दवाएं खरीदने में कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ग्राम स्तर पर प्रशिक्षण देकर किसानों को इस तकनीक के लाभों से अवगत कराया जाए।
चार नई कृषि नीतियाँ: बदलेंगे उत्तराखंड के खेत-खलिहान
1. कीवी नीति
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लागत: ₹894 करोड़
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लक्ष्य: 6 वर्षों में 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवी उत्पादन
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उत्पादन: 14,000 मीट्रिक टन सालाना
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लाभार्थी: 9,000 किसान
2. ड्रैगन फ्रूट नीति
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लागत: ₹15 करोड़
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लक्ष्य: 228 एकड़ भूमि पर खेती
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उत्पादन: 350 मीट्रिक टन
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लाभ: छोटे व मध्यम किसानों को प्राथमिकता
3. सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना
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लागत: ₹144.55 करोड़
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लक्ष्य: 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में अति सघन बागवानी
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प्रावधान: 22 सी.ए. स्टोरेज व सॉर्टिंग-ग्रेडिंग इकाइयों की स्थापना
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अनुदान: व्यक्तिगत कृषकों को 50% व कृषक समूहों को 70% तक सहायता
4. मिलेट मिशन नीति
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लागत: ₹135 करोड़
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लक्ष्य: 2030 तक 70,000 हेक्टेयर भूमि पर मोटे अनाज उत्पादन
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प्रोत्साहन:
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पंक्ति बुआई पर ₹4000 प्रति हेक्टेयर
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अन्य विधियों पर ₹2000 प्रति हेक्टेयर
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खरीद पर ₹300 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन
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मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “राज्य के किसानों को तकनीक से जोड़ना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ये नीतियाँ उत्तराखंड की कृषि विविधता को मजबूती देंगी और पलायन की समस्या पर प्रभावी रोक लगाएंगी।”
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी और किसानों की आय में वास्तविक बढ़ोतरी होगी। उत्तराखंड सरकार की यह पहल न केवल राज्य के किसानों के लिए एक नई सुबह है, बल्कि कृषि क्षेत्र में तकनीक, विविधता और नवाचार का एक प्रेरक उदाहरण भी है। ई-रूपी और चार नई कृषि नीतियाँ, उत्तराखंड को हरित क्रांति के अगले चरण की ओर ले जा रही हैं।