“उत्तराखंड सचिवालय में बायोमेट्रिक हाजिरी बेअसर, मुख्य सचिव के आदेशों की खुलेआम अनदेखी”

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“उत्तराखंड सचिवालय में बायोमेट्रिक हाजिरी बेअसर, मुख्य सचिव के आदेशों की खुलेआम अनदेखी”

देहरादून:
उत्तराखंड सचिवालय, जहां से प्रदेश की प्रशासनिक नीतियां संचालित होती हैं और जहां स्वयं मुख्य सचिव बैठते हैं, वहीं अनुशासन और कार्य संस्कृति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सचिवालय में 1 मई 2025 से बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होने के स्पष्ट आदेशों के बावजूद बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी अब भी इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सचिवालय में ही आदेश बेअसर

सचिवालय प्रशासन की ओर से बार-बार अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्धारित समय पर कार्यालय पहुंचकर बायोमेट्रिक हाजिरी दर्ज करने की याद दिलाई जा रही है। स्वयं मुख्य सचिव भी समयपालन और उपस्थिति को लेकर निर्देश दे चुके हैं, लेकिन महीनों बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है। यह हालात तब हैं, जब पूरे प्रदेश के लिए अनुशासन और जवाबदेही के निर्देश यहीं से जारी होते हैं।

बायोमेट्रिक हाजिरी को लेकर लापरवाही

हालांकि सचिवालय में सभी अधिकारी और कर्मचारी नियमों की अनदेखी नहीं कर रहे हैं, लेकिन ऐसे कर्मियों की संख्या भी कम नहीं है जो बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं कर रहे। यही वजह है कि शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को बार-बार पत्र जारी कर पुराने आदेशों की याद दिलानी पड़ रही है।

सप्ताह में 42.5 घंटे काम अनिवार्य

नियमों के अनुसार प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को सप्ताह में न्यूनतम 42.5 घंटे कार्य करना अनिवार्य है। लेकिन उपस्थिति में लापरवाही के चलते यह नियम केवल कागजों तक ही सीमित नजर आ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब सचिवालय में ही मुख्य सचिव के आदेशों का पालन नहीं हो पा रहा, तो प्रदेश के अन्य विभागों में स्थिति कैसी होगी।

सॉफ्टवेयर से जुड़ा नियम भी नजरअंदाज

बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली का सॉफ्टवेयर प्रतिदिन प्रातः 9:30 बजे से सायं 6:00 बजे तक 8.30 घंटे की कार्य अवधि की गणना करता है। यदि किसी दिन केवल सुबह या केवल शाम की उपस्थिति दर्ज होती है, तो उस दिन की कार्य अवधि शून्य दर्शा दी जाती है। इसके बावजूद सचिवालय जैसे उच्चस्तरीय कार्यालय में इस नियम को गंभीरता से लागू नहीं कराया जा सका है।

फेसियल रिकॉग्निशन की सुविधा भी बेअसर

तकनीकी बहानों को खत्म करने के लिए 20 मई 2025 से मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा और सचिवालय परिसर में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को मोबाइल आधारित फेसियल रिकॉग्निशन के जरिए उपस्थिति दर्ज करने की सुविधा भी दी गई। इसके बाद भी बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी न तो सुबह और न ही शाम को उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं, जो नियमों की खुली अवहेलना मानी जा रही है।

सचिवालय प्रशासन सचिव ने फिर जारी किया पत्र

इस पूरे मामले पर सचिवालय प्रशासन के सचिव दीपेंद्र चौधरी ने एक बार फिर पत्र जारी कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। पत्र में साफ कहा गया है कि सचिवालय में कई अधिकारी-कर्मचारी अब भी इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

अब तक नहीं हुई कार्रवाई

गौरतलब है कि बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था काफी पहले से लागू है, लेकिन अब तक इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित नहीं कराया जा सका है। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई का अभाव भी सवाल खड़े कर रहा है।

सचिवालय में अनुशासनहीनता की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि प्रदेशभर में कार्य संस्कृति को लेकर भी चिंता बढ़ा रही है।


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