एसएसबी और पुलिस अलर्ट मोड पर, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सघन गश्त; सेना की एयर स्ट्राइक को लेकर जनमानस से लेकर व्यापारियों तक में दिखा उत्साह
विशेष रिपोर्ट / द माउंटेन स्टोरीज़/ पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक (ऑपरेशन सिंदूर) के बाद भारत की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी गई है। पाकिस्तान को सटीक और करारा जवाब देने के बाद अब भारत ने चीन और नेपाल से सटी उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर भी चौकसी तेज कर दी है।
सीमा पर सुरक्षा बलों की सक्रियता
धारचूला, झूलाघाट, बलुवाकोट, जौलजीबी और अस्कोट जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीमें लगातार गश्त कर रही हैं। जवानों ने काली नदी के किनारे संदिग्ध गतिविधियों की तलाशी ली और बाहरी व्यक्तियों का सत्यापन किया जा रहा है।
पिथौरागढ़ की एसपी रेखा यादव ने बताया कि
“सीमा की सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। एसएसबी और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही से हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।”
जनता और राजनीतिक प्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रदेश सचिव आनंद सिंह महरा ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना का आभार जताया है। उन्होंने कहा:
“22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों की जाति पूछकर उन्हें मार डाला था। सेना ने उस हमले का माकूल जवाब दिया है। पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का सख्त सबक मिलना जरूरी था।”
महरा ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की कायरतापूर्ण हरकतें अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और भारत को हर स्तर पर सतर्क रहना चाहिए।
चंपावत में व्यापारियों ने दिखाई एकजुटता
चंपावत में भी सेना की कार्रवाई को लेकर आम जनता खासकर व्यापारियों में भारी उत्साह देखा गया।
व्यापार संघ अध्यक्ष विकास साह ने कहा:
“दहशतगर्दों को पनाह देने वाले पाकिस्तान को अब सबक सिखाने का समय आ गया है। अगर वह ऑपरेशन सिंदूर से नहीं चेता, तो और बड़ी कार्रवाई की जरूरत है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि देश की सुरक्षा से समझौता नहीं होना चाहिए और यदि जरूरत पड़े तो और अधिक कठोर कदम उठाए जाएं।
भारत की सीमाओं पर हरकत में आई सुरक्षा व्यवस्था और सेना की त्वरित कार्रवाई ने न केवल आतंकी तंत्र को झटका दिया है, बल्कि देश के नागरिकों में विश्वास और उत्साह का संचार भी किया है।
ऑपरेशन सिंदूर अब केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प बनकर सामने आया है।