अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेष से अच्छी खबर है कि अब प्रदेश के डायलिसिस करने वाले मरीजों को राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें डायलिसिस के लिए लम्बा इंतज़ार भी नहीं करना पड़ेगा। किडनी रोग से ग्रसित रोगियों को अब डायलिसिस सुविधा जल्द से जल्द मिलेगी। अमूमन अभी तक किडनी सम्बंधित मरीजों का इलाज डायलिसिस की 8 यूनिटों द्वारा किया जा रहा था।
संस्थान में किडनी सम्बन्धी मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र मरीजों की सुविधा के लिए डायलिसिस की 24 और यूनिट स्थापित की जा रही हैं। और इन सभी यूनिट के लिए संस्थान में एक अलग ब्लॉक स्थापित होगा जहाँ डायलिसिस के सभी मरीजों का उपचार होगा।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत बताते हैं कि “संस्थान में मरीजों को विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे रोगियों को उपचार के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े”
वहीँ संस्थान में बढ़ाई जा रही इस सुविधा कि बाबत डीन (हॉस्पिटल अफेयर्स) प्रो. यूबी मिश्रा ने कहते हैं कि “इस योजना के लिए संस्थान की ओर से वर्क ऑर्डर जारी हो चुका है। लिहाजा सितंबर माह अंत या अक्टूबर प्रथम सप्ताह तक एम्स में डायलिसिस की 24 नई यूनिटें बढ़ा दी जाएंगी”
गौरतलब है कि एम्स में अब तक डायलिसिस की 8 यूनिटें हि कार्य रही हैं। वहीँ इनमें से 3 यूनिट्स को मेंटिनेंस हीमो डायलिसिस प्रोग्राम के लिए रिजर्व रखा गया है। इस प्रोग्राम के तहत उन मरीजों का उपचार होता है, जिन्हें आजीवन डायलिसिस की जरुरत होती है। जबकि शेष 5 यूनिटों में उपचार के लिए पहले से पंजीकृत मरीजों और आपात चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले मरीजों का डायलिसिस किया जाता है।